पंजाब कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की जिद के आगे किसी की नहीं चल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने रास्ते से हटाने के बाद उनके निशाने पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी हैं। वे लगातार चन्नी सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। इसी के तहत पहले उन्होंने प्रदेश के महाधिवक्ता एपीएस देओल को चलता करवाया, और अब सरकारी विज्ञापनों से मुख्यमंत्री चन्नी का नाम हटवाने में सफल रहे। उधर, कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई पर अकाली दल ने चुटकी ली है। अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि कांग्रेस में चन्नी विरोधी गुट सरकारी विज्ञापनों से उनका नाम हटवानें में सफल रहा।
दरअसल, प्रदेश में आगामी कुछ माह में विधानसभा चुनाव होने हैं और सिद्धू की निगाह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है। दूसरी बात, सिद्धू खुद को चन्नी से ऊपर मानते हैं। इसलिए जब चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो सिद्धू ने कभी उनका हाथ पकड़कर तो कभी उनके कंधे पर हाथ रखकर यह दिखाने की कोशिश भी की थी। लेकिन जब चन्नी ने एपीएस देओल को राज्य का महाधिवक्ता और इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पुलिस महानिदेशक बना दिया तो सिद्धू नाराज हो गए। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जब तक दोनों को हटाया नहीं जाएगा, वह कांग्रेस भवन में नहीं जाएंगे। साथ ही, उन्होंने चन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अंतत: देओल को पद से हटा दिया गया, जबकि सहोता को भी डीजीपी पद से हटाने की तैयारी है। अब सिद्धू ने सरकारी विज्ञापनों से मुख्यमंत्री चन्नी का नाम हटवा दिया है।
सिद्धू नहीं चाहते कि सूबे में कांग्रेस एक चेहरे तक ही सीमित रहे। सिद्धू को लगता है कि जिस तरह चन्नी ने बिजली बिल माफी सहित कई फैसले लिए हैं, उससे उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी और कहीं न कहीं उनका कद चन्नी से कम हो जाएगा। इसलिए वे हर तरह से चन्नी के ऊपर रहना चाहते हैं, इसलिए सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने 'घर-घर विच चल्ली गल, मुख्यमंत्री चन्नी करदा मसले हल' का नारा दिया था। वास्तव में यह चन्नी का सिद्धू को जवाब था। कुछ दिन पहले ही सिद्धू ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और ड्रग्स जैसे मामलों में कार्रवाई नहीं करने पर इशारे में चन्नी को कमजोर बताया था। इस पर चन्नी ने बिना सिद्धू का नाम लिए कहा था कि जब वे सभी मुद्दे हल कर लेंगे तो घर-घर में इसी बात की चर्चा होगी कि चन्नी मसले हल करते हैं। यह बात सिद्ध को नागवार गुजरी थी। एक कारण यह भी है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंद सिंह का कद कांग्रेस पार्टी से बड़ा हो गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में कैप्टन की बदौलत ही कांग्रेस सत्ता में आई। 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने 'कॉफी विद कैप्टन', 'पंजाब दा कैप्टन' जैसे नारे दिए। लेकिन बाद में जब उनके खिलाफ बगावत शुरू हुई तो 'दोबारा कैप्टन' और 'पंजाब दा कैप्टन इक ही हुंदा' जैसे नारे गढ़े गए। कुलमिलाकर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर के रहते कांग्रेस में कोई दूसरा नेता नहीं पनप सका। इसलिए सिद्धू नहीं चाहते कि चन्नी भी कैप्टन के रास्ते पर चलें। सच तो यह है कि सिद्धू खुद कैप्टन की जगह लेना चाहते हैं।
टिप्पणियाँ