बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को ड्यूटी के दौरान गंभीर अनियमितता के आरोप में निलंबित किया गया था। निलंबन के दौरान उसने लगातार ऐसे कारनामे किये जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कफील को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है। वर्ष 2017 के अगस्त में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बी.आर.डी. मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था, उस समय डॉ. कफील भी मौजूद था। अगर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो रहे थे तो यह बात उसे मुख्यमंत्री को बतानी चाहिए थी।
प्राइवेट अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाने के बजाय कफील अपने अधिकार का प्रयोग करके ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद सकता था। मगर उसने ऐसा नहीं किया। जब-जब वहां टी.वी. चैनल की टीम पहुंची, सभी को कफील ने ही इंटरव्यू दिया और यह कहा कि “ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से बच्चों की मौत हुई है”, जबकि अन्य डॉक्टर मरीजों के इलाज में लगे हुए थे। कफील ने षड्यंत्र के तहत यह पूरा मामला खड़ा किया कि बच्चों की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी से हुई थी जबकि मेडिकल कॉलेज की तरफ से यह कहा गया था कि ऑक्सीजन सिलेंडर की कोई कमी नहीं थी। वर्ष 2017 की तारीख 10 और 11 अगस्त को बी.आर.डी. मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में 32 मासूम एवं 18 अन्य गंभीर मरीजों की मृत्यु हो गई थी।
1 नवंबर 2019 को कफील ने एक नया शिगूफा छोड़ा। उसकी तरफ से यह प्रचारित किया गया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में बच्चों की हुई मौत के प्रकरण में जो जांच चल रही थी, उसमे उसको क्लीन चिट दे दी गई है। अचानक से उसके समर्थकों के फेसबुक पेज पर यह तथ्यहीन खबर वायरल होने लगी। बगैर तथ्य को परखे कुछ न्यूज वेबसाइट पर भी यह खबर जारी कर दी गई। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट की गई। तत्कालीन प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे ने बताया था कि जांच में किसी प्रकार की कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है। कफील के खिलाफ अन्य कई गंभीर मामलों में जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट आने पर उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
कफील के खिलाफ जिन बिंदुओं पर अभी भी जांच चल रही थी, उसमें एक आरोप यह भी था कि सरकारी अस्पताल का ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी करा कर के वह निजी अस्पताल में उसका इस्तेमाल करता था। दूसरा आरोप था कि निलम्बन के दौरान कफील 22 सितंबर 2018 को बहराइच के जिला चिकित्सालय के बाल रोग विभाग में जबरदस्ती घुस गया था और वहां पर गंभीर रूप से बीमार बच्चों का इलाज करने लगा था।
टिप्पणियाँ