हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अपनी जिंदगी के बाकी समय गुजारना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि यह स्थान मुझे आध्यात्मिक शांति देता है। 14वे दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो दुनियाभर में भ्रमण करते हैं और चीन से तिब्बत की आज़ादी के लिए शांतिपूर्ण समाधान की बात करते हैं।
चीन के द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने पर दलाई लामा अपनी सरकार के साथ भारत में शरण लेकर रहने लगे। आध्यात्मिक तिब्बती गुरु दलाई लामा अपनी उम्र के बाकी साल यहीं गुजारेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी जो अवस्था है उसमें ज्यादा यात्रा नहीं हो सकती है। यहां हिमालय है ,नदियां हैं, मौसम, आबोहवा जो मेरे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है। यहां मेरे अपने रहते हैं, जो तिब्बत को चीन से आजाद देखना चाहते हैं।
बता दें कि दलाई लामा 6 जुलाई 1935 में तिब्बत में पैदा हुए थे। कुछ सालों बाद ही उन्हें 13वें दलाई लामा ने चिन्हित कर 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया। ल्हासा में उन्होंने अध्यात्म की शिक्षा प्राप्त की थी। आज भी वो अपने आप को एक साधारण बौद्ध भिक्षु बताते हैं। राजनीति के तौर पर दलाई लामा को तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा प्राप्त है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा को दुनिया के लगभग हर शांति सम्मान से नवाजा जा चुका है। विश्वभर में उनके प्रति आदर है और उनके जीवन संघर्ष में प्रेम और शांति के संदेशों को सुना और समझा जाता रहा है।
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