मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कानपुर मेट्रो के 'ट्रायल रन' को हरी झंडी दिखाई। इस दौरान सीएम ने मेट्रो की सुविधाओं का निरीक्षण भी किया। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण कार्य की शुरुआत 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी ने की थी। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना कोरोना की दो लहरों के बावजूद दो साल से भी कम समय में बनकर तैयार हुई है जो कि एक रिकॉर्ड है।
बुधवार को जिस रूट पर हरी झंडी दिखाई गई है वह 9 किलोमीटर का है। कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत लगभग 32.5 किमी लंबे दो मेट्रो कॉरिडोर प्रस्तावित हैं। पहला आईआईटी से नौबस्ता जो कि 23.8 किमी का है। दूसरा, चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय से बर्रा तक 8.6 किमी लंबा कॉरिडोर है। पहले कॉरिडोर के अंतर्गत आईआईटी कानपुर से मोतीझील तक पहला सेक्शन बनकर तैयार हो गया है। इस सेक्शन में कुल 9 मेट्रो स्टेशन हैं।
कानपुर मेट्रो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से लैस होगी। इसके जरिये लगभग 35 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत होगी। अगर ट्रेन ऑपरेशन में 1000 यूनिट बिजली खर्च हो रही है तो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के माध्यम से ट्रेन लगभग 350 यूनिट फिर से पैदा कर लेगी, जिन्हें वापस सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा।
स्टेशन और डिपो में लगने वाली लिफ्ट भी रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से ऊर्जा बचाने में सक्षम होंगी। इनमें 37 प्रतिशत तक ऊर्जा दक्षता होगी। मेट्रो के सभी परिसरों में ऊर्जा की बचत के लिए 100 प्रतिशत एलईडी लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। मेट्रो डिपो और स्टेशनों पर सोलर पैनल्स लगाने की भी योजना तैयार कर ली गई है। भारत में पहली बार कानपुर मेट्रो थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ होगी। खास इन्वर्टर, जो ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में इस्तेमाल के योग्य बनाएगा। अभी तक देश में थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ परिचालित किसी भी मेट्रो रेल परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है।
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