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6 महीने में मारे गए 480 बच्चे, तालिबान के बर्बर राज की असलियत

by WEB DESK
Nov 9, 2021, 02:07 pm IST
in विश्व
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत से ही वहां जिहादी तालिबान ने जिस तरह की हिंसा मचा रखी है उसी के चलते साल छह महीनों में 480 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनीसेफ ने गंभीर चिंता जताई है

अफगानिस्तान में मजहबी उन्मादी बंदूकधारी तालिबान लड़ाकों की बर्बरता और पाशविकता का इससे बड़ा उदा​हरण और क्या होगा कि इस देश में बीते छह महीनों के दौरान 480 नन्हे मासूम अपनी जान गंवा चुके हैं। एक तरह से, मारे गए इन बच्चों की आज एक बड़ी कब्रगाह जैसा बन गया है अफगानिस्तान! उस युद्धग्रस्त देश से आए ऐसे आंकड़े को लेकर संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनीसेफ ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। 

अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत से ही वहां जिहादी तालिबान ने जिस तरह की हिंसा मचा रखी है उसी के चलते साल के शुरू के छह महीनों में 480 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनीसेफ का चिंता जताना स्वाभाविक ही है। पिछले ब्रहस्पतिवार को हुई एक घटना की जानकारी देते हुए यूनीसेफ ने बताया है कि अपनी चार लड़कियों तथा दो बच्चों के साथ एक नौ सदस्यीय परिवार कुंदुज में अपनी जान गंवा बैठा। जिस घर में यह परिवार रह रहा था उसके बाहर लड़ाई में फेंके गए विस्फोटक पड़े थे, उनमें ऐसा धमाका हुआ कि पूरा परिवार तबाह हो गया। यूनीसेफ के अनुसार, तालिबान के इस हिंसक अभियान के बाद से अब तक अफगानिस्तान के हजारों निर्दोष नागरिकों के जीवन पर असर पड़ा है। 

हाल की एक और घटना में नांगरहार में छह साल के हिब्तुल्लाह का एक पैर शरीर से अलग हो गया, वह भी दो गुटों के बीच हिंसक झड़प का शिकार हुआ था। उसके पैर पर गोली लगी थी, जिसके बाद पैर को काटना पड़ा। हिब्तुल्लाह के अब्बू अब्दुल्लाह का कहना है कि नांगरहार में हिंसा में उसके बेटे को गोली लगने के बाद, वह कई दिन अस्पताल में भर्ती रहा, ​जहां आखिरकार उसका पैर काट दिया गया। उसने बताया कि अब रेड क्रॉस उसके बच्चे का इलाज करवा रही है। 

चार लड़कियों तथा दो बच्चों के साथ एक नौ सदस्यीय परिवार कुंदुज में अपनी जान गंवा बैठा। जिस घर में यह परिवार रह रहा था उसके बाहर लड़ाई में फेंके गए विस्फोटक पड़े थे, उनमें ऐसा धमाका हुआ कि पूरा परिवार तबाह हो गया। यूनीसेफ के अनुसार, तालिबान के इस हिंसक अभियान के बाद से अब तक अफगानिस्तान के हजारों निर्दोष नागरिकों के जीवन पर असर पड़ा है। 

इसमें संदेह नहीं है कि अफगानिस्तान में हालात आएदिन बिगड़ते जा रहे हैं। देश की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है, माहौल असमंजस भरा और अस्थिर है। इसके साथ​ ही, अफगानिस्तान में खाने का भीषण संकट है। एक अफगानी डाक्टर मोहम्मद फहीम ने बताया है कि उनके यहां रोज करीब 10—15 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अधिककर गहरे सदमे से जूझ रहे होते हैं। 

इस संबंध में टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट में संचार वकालत संस्थान की अध्यक्ष सामंथा मोर्ट का कहना है कि इस साल अब तक विस्फोटक उपकरणों से इतने ज्यादा बच्चे मारे गए हैं कि आंकड़ा हैरान करने वाला है। यूनीसेफ के अनुसार, अफगानिस्तान में रहने वाले बच्चे दसियों साल से कुपोषण तथा गरीबी से जूझ रहे हैं। ऐसे में तालिबान के हिंसक अभियान ने अफगानिस्तान की हालत और बदतर कर दी है।

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