आज भी गांव-कस्बों में ऐसे फेरीवाले आते हैं, जो पुराने कपड़े, प्लास्टिक की सामग्री, कांच की बोतलें, आपके बाल या फिर मोरपंख आदि खरीदते हैं या फिर उनके बदले में कोई काम की चीज़ दे देते हैं। लेकिन बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक कचरे के मौजूदा दौर में उनके साथ ही अब ऐसे लोग भी चक्कर लगाने लगे हैं, जो आपके पुराने, बेकार या टूटे-फूटे मोबाइल फोन खरीद लेते हैं। बदले में कुछ पैसा, फल, प्लास्टिक की सामग्री या ऐसा ही कुछ देकर चले भी जाते हैं। अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक कचरे से छुटकारा पाकर खुश होने वाले लोगों को अहसास नहीं होता कि वे अनजाने ही साइबर अपराधियों के फंदे में फंस गए हैं।
उत्तर प्रदेश से इस बारे में आ रही खबरें चिंताजनक हैं। होता यह है कि पुराने फोन खरीदने वाले फेरीवाले साइबर अपराधियों के किसी गिरोह से जुड़े होते हैं और खरीदे गए सारे उपकरण उन्हें बेच देते हैं। साइबर अपराधी इनमें मौजूद डेटा को रिकवर कर लेते हैं और फिर उनका इस्तेमाल साइबर अपराध के लिए करते हैं। साइबर अपराधी एक से बढ़कर एक चालाकी का इस्तेमाल करने में माहिर हैं और अक्सर वे ऐसी चाल चलते हैं कि आम आदमी को अपने ठगे जाने का अहसास ही नहीं होता।
ऐसे स्मार्टफोनों और फीचर फोनों का कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। ज्यादातर लोग अपने बेकार हो चुके मोबाइल फोन में सहेजी गई सामग्री के बारे में जागरूक नहीं होते। फोटोग्राफ और कुछ ज़रूरी दस्तावेजों को छोड़कर बाकी सब वहीं छोड़ दिया जाता है। यह वैसा ही है जैसे आप अपनी डिग्रियाँ और आमदनी के कागजात संभाल कर रख लें और बाकी सब रद्दीवाले के हवाले कर दें। कई बार लोग अपने स्मार्टफोन को रिसेट कर लेते हैं लेकिन बहुत से मौकों पर फोन खराब हो चुका है और इस स्थिति में नहीं होता कि उसे रिसेट किया जा सके। अगर रिसेट कर भी दें, तब भी साइबर अपराधी उसमें से काफी डेटा रिकवर कर लेते हैं। अनेक मौकों पर फोन पूरी तरह से खराब नहीं होता और उसके चंद कलपुर्जे ही खराब होते हैं। ऐसे फोन को स्वाइप करके या नंबर कोड का इस्तेमाल करके चालू करना असंभव नहीं है। कई तरीके से हासिल किए गए डेटा में आपके बैंक खातों, ईमेल खातों, सोशल मीडिया खातों और कई तरह की गोपनीय सूचनाएँ भी हो सकती हैं। जिन सूचनाओं के लिए आपने सोचा था कि उनका नामोनिशान मिट चुका है, वे फिर से जिंदा होकर अपराधी हाथों में पहुँच चुकी होती हैं। उसके बाद उनका दुरुपयोग करने का रास्ता खुल जाता है।
आपका डेटा पाकर साइबर अपराधी बहुत कुछ कर सकते हैं। आपका पहचान पत्र, मोबाइल नंबर और ईमेल खाता एक्सेस होने पर वे आपके मोबाइल फोन का दूसरा सिम कार्ड जारी करवाने में कामयाब हो सकते हैं। ऐसा हुआ तो आपके बैंक खाते तक पहुँचना संभव है और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना भी क्योंकि अब आपके बैंक खाते का पासवर्ड बदला जा सकता है। वेरीफिकेशन के लिए आने वाली सूचनाएँ या तो खाते से जुड़े मोबाइल फोन पर आएंगी या फिर ईमेल खाते में। क्या आप कल्पना करेंगे कि टूटा-फूटा मोबाइल फोन बेचने के बदले में आपका बैंक खाता साफ हो जाएगा ?
उसी फोन नंबर का इस्तेमाल दूसरे आपराधिक कार्यों के लिए भी संभव है, जैसे- नशीली चीजों का कारोबार, फिरौती आदि की वसूली, अपराधी गिरोहों द्वारा धमकियाँ दिया जाना, देह व्यापार और यहाँ तक कि आतंकवाद से जुड़े कामों के लिए भी। रोज किसी दूसरे नंबर का इस्तेमाल करके अपराध करते रहें, इससे ज्यादा अपराधियों को और क्या चाहिए ? आपके ईमेल खाते का इस्तेमाल भी ऐसे ही कामों के लिए किया जा सकता है। न सिर्फ फिशिंग और स्पैम के लिए बल्कि वायरस, स्पाइवेयर आदि फैलाने के लिए भी, जिनका इस्तेमाल दूसरों के कंप्यूटरों और मोबाइल फोन को एक्सेस करने में किया जा सके। जिस शख्स का वह मोबाइल नंबर या ईमेल खाता है, वह अपने नंबर तथा ईमेल अकाउंट को दोबारा पाने तक संकट में फँसा रहेगा। और यह संकट कितना भी बड़ा हो सकता है। संभावनाएँ बहुत सारी हैं और आप बेबस।
सवाल उठता है कि करें क्या। अगर आप अपने फोन को एक्सेस कर पा रहे हैं तो उसे रिसेट करने से पहले उससे जुड़े सभी अकाउंटों (गूगल, एपल आदि) को डिलीट कर दें। रिसेट करने से पहले अपने फोन को एनक्रिप्ट करें। इसके लिए सेटिंग्स में जाकर एनक्रिप्ट सर्च करें या फिर Settings > Security > Advanced > Encryption & credentials पर जाकर Encrypt Phone का इस्तेमाल करें। याद रखें, आपके फोन में ये सेटिंग्स अलग जगह पर हो सकती हैं। इसलिए सर्च करना एक आसान और बेहतर विकल्प है। रिसेट करने से पहले एक और बात याद रखें और वह है- Erase everything (या Erase All Content and Settings) विकल्प का प्रयोग करना। यह सब करने के बाद ही फोन को रिसेट करें। अगर फोन में माइक्रो एसडी कार्ड और सिम कार्ड है तो उन्हें ज़रूर बाहर निकाल लें।
फोन को रिसेट करने और डेटा इरेज करने के बावजूद फाइलें भीतर ही रह गई हों, यह संभव है। ये फाइलें तब तक बनी रह सकती हैं जब तक कि फोन के स्टोरेज में दूसरी फाइलें न डाल दी जाएँ। ऐसा करना बहुत मुश्किल नहीं है। कुछ भारी-भरकम वीडियो मोबाइल फोन में डाल दें ताकि उसका सारा स्टोरेज भर जाए। जब जगह ही नहीं होगी तो पुराना डेटा कैसे रहेगा? और हाँ, अगर आप यह सब न कर सकें तो बेहतर है कि पुराने फोन को बेचने की बजाए उसे नष्ट ही कर दिया जाए।
(लेखक तकनीकी मामलों के गहन जानकार हैं।)
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