पिछले महीने चर्च के एक स्वतंत्र आयोग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि 1950 से 2020 तक यानी पिछले 7 दशक के दौरान फ्रांस के चर्च के अंतर्गत बिशपों, पादरियों ने 216,000 बालकों का यौन शोषण किया था।
आलोक गोस्वामी
आखिरकार फ्रांस के कैथोलिक चर्च के बिशपों, पादरियों, ननों ने चर्च में पिछले 70 साल के दौरान हुए बाल यौन शोषण के लिए माफी मांगी है। इन सबने अपने घुटनों के बल बैठकर पीड़ितों से दोषियों को माफ करने की प्रार्थना की। उल्लेखनीय है कि करीब एक माह पहले चर्च के एक स्वतंत्र आयोग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उसमें खुलासा किया गया था कि 1950 से 2020 तक यानी पिछले 7 दशक के दौरान फ्रांस के चर्च के अंतर्गत बिशपों, पादरियों ने 216,000 बालकों का यौन शोषण किया था। माफी मांगने के लिए आर्चबिशप सहित 120 बिशप और पादरी कैथोलिकों में सुप्रसिद्ध लॉर्डेस के सबसे बड़े चर्च के आंगन में इकट्ठे हुए थे।
इस मौके पर आर्चबिशप और बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ फ्रांस (सीईएफ) के अध्यक्ष एरिक डी मौलिन्स-ब्यूफोर्ट ने रिपोर्ट के नतीजों को 'शर्मनाक और डरावना' बताया। इसी रिपोर्ट पर वेटिकन से पोप फ्रांसिस ने बयान दिया था कि इससे उन्हें 'बहुत दुख' हुआ है।
उल्लेखनीय है कि चर्च की उक्त रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए उस स्वतंत्र आयोग ने कई सिफारिशें की थीं। इनमें से एक थी कि चर्च इस यौन उत्पीड़न के लिए अपनी नागरिक तथा सामाजिक जिम्मेदारी स्वीकार करे। बिशप फ्रांस्वा टौवेट ने बयान जारी करते हुए कहा, 'आज सुबह हमने पीड़ितों से सिर्फ माफी ही नहीं मांगी, यह बिशप और पीड़ित के बीच आपसी संबंधों से कहीं बढ़कर है।'
यौन उत्पीड़न के शिकार होने वालों और उनके परिजनों ने इस माफी को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि माफी तो पोप फ्रांसिस को मांगनी चाहिए। सिर्फ 'बहुत दुख हुआ' कहने से काम नहीं चलेगा। वहीं कुछ परिजनों ने पीड़ितों को जिस मानसिक क्लेश से गुजरना पड़ा उसका उल्लेख करते हुए कहा कि चर्च को ऐसे लोगों के इलाज पर होने वाले खर्च को वहन करना चाहिए, पीड़ित लोगों को मुआवजा देना चाहिए।
आयोग की रिपोर्ट से स्पष्ट पता चला है कि यौन उत्पीड़न के शिकार होने वालों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे किशोर लड़कों की थी जो विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि से आते थे। चर्च में इस पैमाने पर हुए यौन उत्पीड़न पर अब तक एक बड़ी चुप्पी साधे रखी गई थी।
हालांकि यौन उत्पीड़न के शिकार होने वालों और उनके परिजनों ने इस माफी को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि माफी तो पोप फ्रांसिस को मांगनी चाहिए। सिर्फ 'बहुत दुख हुआ' कहने से काम नहीं चलेगा। वहीं कुछ परिजनों ने पीड़ितों को जिस मानसिक क्लेश से गुजरना पड़ा उसका उल्लेख करते हुए कहा कि चर्च को ऐसे लोगों के इलाज पर होने वाले खर्च को वहन करना चाहिए, पीड़ित लोगों को मुआवजा देना चाहिए।
इस कार्यक्रम में ऐसे भी अनेक कैथोलिक उपस्थित थे जिनकी मांग थी कि चर्च के अंदर का तंत्र खराब हो चुका है। आस्था बहाल करने के लिए चर्च को अपने कायदे—कानूनों में एक बड़े बदलाव के लिए मन बनाना होगा। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ सिफारिश की है कि एक जैसी दर से मुआवजे का भुगतान करने की बजाय, हर मामले को बारीकी से जांचकर, उत्पीड़न की गंभीरता को आंकते हुए मुआवजा दिया जाना चाहिए और इसका पैसा उत्पीड़न करने के दोषियों की अपनी खुद की संपत्ति या चर्च से लिया जाना चाहिए। इसके लिए कैथोलिक चर्च के अनुयायियों से दान आदि नहीं लिया जाना चाहिए।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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