नोएडा में 28 वर्ष तक मैन्युफैक्चरिंग का व्यापार करने वाले नीरज सिंह लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद की पुवायां तहसील के अपने जेवां गांव लौटे। नोएडा की मैन्यूफैक्चरिंग इकाई को भूल उन्होंने केमिकल मुक्त और प्राकृतिक खेती का संकल्प लिया। मगर उनके सामने चुनौतियां भी थीं। पठन-पाठन और व्यवसाय सब कुछ उन्होंने शहर में किया था।
ग्रामीण परिवेश से वे पूरी तरह अनभिज्ञ थे। ऐसे में जब उन्होंने खेत में कुदाल उठाई तो स्थानीय लोगों को लगा कि वे किसी संस्था से जुड़े गए हैं और इनका उद्देश्य फोटो आदि खिंचवाना मात्र है। बहुत कम समय में ही नीरज सिंह ने लोगों की आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दिया।
नीरज सिंह ने अपने खेत में आर्गेनिक खेती शुरू की। उन्होंने किसी केमिकल का उपयोग किए बिना आर्गेनिक गन्ने की पैदावार की। आस-पास के ग्रामीणों ने जब देखा कि बिना केमिकल के प्रयोग के भी अच्छी पैदावार हो सकती है, तब लोगों का भ्रम दूर हो गय। उन्हें विश्वास हो गया कि नीरज सिंह कृषि के क्षेत्र में पक्के इरादे के साथ कार्य करना चाहते हैं।
नीरज सिंह बताते हैं कि मैंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 180 एकड़ के क्षेत्र में होने वाली प्राकृतिक खेती के बारे में भी अध्ययन किया। उसके बाद मैंने गो-आधारित खेती करने वाले किसानों के बारे में सोशल मीडिया पर लिखना शुरू किया। उससे लोगों को काफी प्रेरणा मिली। केमिकल के प्रयोग से खेत के सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो गए थे। प्राकृतिक खेती करने से अब आॅर्गेनिक फसल पैदा हो रही है।
नीरज सिंह ने 4 एकड़ में खेती करके लोगों के सामने एक मॉडल प्रस्तुत किया। उन्होंने 20 कुंतल गन्ना उगाया। इस गन्ने की कीमत बाजार में 7 हजार रुपये थी। उन्होंने आर्गेनिक गन्ने का सिरका बनवाया। सिरके की पैकिंग करके उसे बाजार में बेचा जा रहा है। सिरका तेजी से बिक रहा है। पूरा सिरका बिक जाने पर डेढ़ लाख रुपये की आमदनी होगी।
इस प्रकार 7 हजार रुपए के गन्ने से डेढ़ लाख रुपए की आय हो रही है। इसी प्रकार सामान्य गुड़ 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। वहीं आर्गेनिक गुड़ 90 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है। साढ़े तीन कुंटल आर्गेनिक गुड़ करीब तीस हजार रुपये में बिक चुका है।
इसी के साथ नीरज सिंह ने गोमती नदी की सहायक नदी भैंसी को संरक्षित एवं स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है। उनके साथ अब गांव के काफी लोग जुड़ गए हैं। नदी को संरक्षित करने के लिए उसके दोनों तटों पर पौधारोपण किया जा रहा है। नीरज सिंह बताते हैं कि ‘159 ग्राम पंचायतों में एक ही दिन में हरी संकरी रोपण किया गया। इसमें एक ही स्थान पर पीपल, बरगद और पाकड़ को लगाया गया।’ल्ल
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