अब मारिशस वासी टेलीविजन पर भोजपुरी में समाचार सुनने लगे हैं। कल धनतेरस के अवसर पर मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने देश के सरकारी टीवी चैनल पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की घोषणा करते हुए इसे दीपावली का उपहार बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। जगन्नाथ का संकेत उन गिरमिटिया मजदूरों की तरफ था जिन्हें अंग्रेज यहां मारिशस में काम में जोतने के लिए लाए थे और जिन पर उन्होंने बेपनाह जुल्म किए थे।
उल्लेखनीय है कि यह पहली बार है जब भारत से बाहर मारिशस में भोजपुरी भाषा में टेलीविजन समाचार सुने—देखे जा सकेंगे। भारत से सात समंदर पार लघु भारत कहलाए जाने वाले देश मारिशस के सरकारी टेलीविजन चैनल एमबीसी (मारिशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन) टीवी पर भोजपुरी में समाचार प्रसारण की शुरुआत होना वहां के निवासयों के लिए एक उपहार ही है। मारिशस के प्रधानमंत्री जगन्नाथ का इस अवसर पर आयोजत कार्यक्रम में यह कहना सटीक ही है कि यह देशवासियों को दिवाली की सौगात है। उन्होंने पूर्वजों की याद करते हुए कहा कि यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है क्यों उन्होंने ही गिरमिटिया मजदूर के नाते अंग्रेजों की यातनाएं सहीं और मारिशस को सोने सा खरा बनाते हुए भारत की सनातन सभ्यता-संस्कृति को बचाए रखा। दरअसल में मारिशस में एक लंबे समय से भोजपुरी में समाचार प्रसारण की मांग की जा रही थी।
2 अक्तूबर को मारिशस में भारतीय गिरमिटियाओं के आगमन की 187वीं सालगिरह भी थी। इसी दिन यानी 2 नवंबर 1834 को भारत के लोग गिरमिटिया मजदूर के तौर पर पहली बार मारिशस पहुंचे थे। इनमें से अधिकांश बिहार से थे जिन्हें गिरमिटिया के नाते पोर्ट लुईस बंदरगाह पर उतारा गया था। उस दिन दीवाली थी। एक तरह से वे वहां स्वयं दीये बनकर गए थे। आज उन्हीं के तप के कारण मारिशस एक कामयाब और विकसित देश माना जाता है।
2 अक्तूबर को मारिशस में भारतीय गिरमिटियाओं के आगमन की 187वीं सालगिरह भी थी। इसी दिन यानी 2 नवंबर 1834 को भारत के लोग गिरमिटिया मजदूर के तौर पर पहली बार मारिशस पहुंचे थे। इनमें से अधिकांश बिहार से थे जिन्हें गिरमिटिया के नाते पोर्ट लुईस बंदरगाह पर उतारा गया था। उस दिन दीवाली थी।
मारिशस सरकार के इस निर्णय पर ख़ुशी जाहिर करते हुए मारिशस के हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार राज हिरामन ने कहा कि उन्हें कबसे इस दिन का इंतजार था। उनका वह सपना आज पूरा हुआ है। सच में, भोजपुरी में टीवी पर समाचा।र देखना बेहद खुशी और सुकून देने वाला पल है। हिरामन ने कहा कि लगभग 200 वर्ष की दास प्रथा की करुण गाथा मारिशस की हिंदू युवा पीढ़ी सदा याद रखना चाहती है।
राज हिरामन के अनुसार, गिरमिटिया मजदूरों के नाते 1920 तक उत्तर प्रदेश से भी अनेक लोग आए थे। सबने मिलकर 12 मार्च 1968 को यह देश आज़ाद कराया था। देवतुल्य महान पूर्वजों की संस्कृति तथा भाषा ही स्वतंत्रता, शक्ति और एकता की प्रेरणा रहीं।
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