कहा जाता है कि विपरीत काल मेें समझदारी भरा एक कदम ही आपके जीवन को संवार सकता है। कुछ ऐसा ही किया है निकुंज पोद्दार, गौरव मोदी और निखिल पोद्दार ने। तीनों रांची के रहने वाले हैं। बता दें कि निकुंज और गौरव ने 2014 में रांची में बैग बनाने की एक फैक्ट्री ‘एवरग्रीन इंडस्ट्रीज’ शुरू की थी। इसमें निखिल का भी बड़ा योगदान है। कोरोना के कारण इनकी फैक्ट्री भी बंद हो गई। ऐसे में निकुंज और गौरव ने बहुत ही सूझबूझ वाला निर्णय लिया। निकुंज मैकेनिकल इंजीनियर हैं और गौरव ने एमबीए किया है, जबकि निखिल सीए हैं।
कोरोना काल में तीनों ने अपने-अपने हुनर का लाभ उठाया और अपनी फैक्ट्री की मशीनों में समय रहते बदलाव कर दिया। इसके बाद उनकी फैक्ट्री में मास्क बनने लगे। उन दिनों देश में मास्क बहुत कम जगह बन रहे थे। झारखंड जैसे सुदूर राज्य में बाहर से मास्क जल्दी पहुंच भी नहीं पा रहे थे। ऐसे में तीनों का निर्णय राज्य के लोगोें की सेहत के लिए तो ठीक रहा ही, साथ ही उनकी कंपनी की सेहत भी ठीक रही।
निकुंज पोद्दार बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों की बहुत कमी रहती थी। कोई घर से बाहर नहीं निकल रहा था। ऐसे में प्रशासन से अनुमति लेकर नजदीक के गांवों में रहने वाले लोगों से संपर्क किया गया तब श्रमिकों की कमी पूरी हुई। इससे जरूरत के हिसाब से मास्क बनाने में मदद मिली। वहीं गौरव मोदी ने बताया कि कोरोना के दौरान यह भी पता चला कि अस्पतालों में ‘बेडशीट’ की भारी कमी है। इसे देखते हुए फैक्ट्री में एक बार इस्तेमाल की सकने वाली ‘बेडशीट’ भी बनाई जाने लगी और जहां जरूरत हुई वहां पहुंचा दी गई। इसमें प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला।
मास्क और बेडशीट बनाने और उनके वितरण में लगभग 400 लोगों का सहयोग मिला। यानी निकुंज और गौरव के एक विवेक से भरे निर्णय ने कोरोना काल में भी 400 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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