दोपहिया वाहनों के लिए टिकरी बॉर्डर खोलने के बाद से संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं में अफरा-तफरी मची हुई है। उन्हें अपने आंदोलन पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है। आपसी खींचतान भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
कथित किसान आंदोलन के बीच दोपहिया वाहनों के लिए टिकरी बॉर्डर खोलने के बाद किसान नेताओं में अफरा-तफरी मची हुई है। कोई बौखलाहट में सरकार को धमका रहा है तो कोई किसानों को उकसा कर माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहा है। यही नहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता एक-दूसरे की टांग खिंचाई भी कर रहे हैं।
बीते सप्ताह सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बॉर्डर पर रास्ता खोलने के लिए तीन दिन तक बातचीत के बाद पुलिस ने बैरिकेडिंग हटाकर एक ओर का रास्ता खोलने का प्रयास किया तो आंदोलनकारियों ने आधी रात को ही बखेड़ा खड़ा कर दिया। उन्होंने दोपहिया वाहनों और पैदल चलने के लिए 5 फीट रास्ता ही खोलने दिया, वह भी सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक। इसके बाद से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार सरकार को धमकी दे रहे हैं और सोशल मीडिया के सहारे लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। अब उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है। अगर सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो 27 नवंबर से किसान ट्रैक्टर के साथ दिल्ली को चारों ओर से घेरेंगे। उन्होंने ट्वीट किया कि इस बार पक्की किलेबंदी की जाएगी और आंदोलन स्थल पर तंबुओं को मजबूत किया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई (चढ़ूनी गुट) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने टिकैत के दिल्ली घेरने वाले बयान को ड्रामेबाजी करार दिया है। हरियाणा के जींद जिले में मीडियाकर्मियों के सवाल पर चढ़ूनी ने कहा कि पहले भी ट्रैक्टरों से दिल्ली को घेरा था। क्या कर लिया? यह केवल ड्रामेबाजी है। जब तक हम दिल्ली में नहीं घुसेंगे, तब तक केंद्र सरकार और भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए चढ़ूनी ने 7 नवंबर को जींद प्रदेश के किसान संगठनों की बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि बैठक में एक साल बाद आंदोलन की दिशा और दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ कैसे बढ़ाई जाए, इस पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में हरियाणा के किसान संगठन जो भी निर्णय लेंगे, उसे संयुक्त किसान मोर्चा के सामने रखा जाएगा। इससे पहले, चढ़ूनी ने सिंघु बॉर्डर पर भी भाकियू के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसी बैठक में जींद में हरियाणा के किसान संगठनों की संयुक्त बैठक बुलाने का फैसला लिया गया। इसके अलावा, चढ़ूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा को कुछ सुझाव भी दिए हैं, जिस पर 9 नवंबर को मोर्चे की होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा। उधर, जय किसान आंदोलन के संयोजक योगेंद्र यादव भी अपनी जमीन तलाश रहे हैं। एक दिन पहले रेवाड़ी में उन्होंने कहा कि जब तक गांव के किसान आंदोलन के साथ हैं, दिल्ली पुलिस या केंद्र सरकार आंदोलन को नहीं उखाड़ सकती। बता दें कि किसान मोर्चा ने उन्हें एक माह के लिए संगठन से निष्कासित कर रखा है।
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