भारत का उड्डयन क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पूरी दुनिया में यह क्षेत्र भले ही आर्थिक संकट की मार झेल रहा हो लेकिन मोदी सरकार ने कोविड दुष्प्रभावों के बाद इसे नवाचारों के माध्यम से नई पहचान देने की कोशिश की है। पूर्ववर्ती सरकारों की दूषित समाजवादी नीतियों ने निस्संदेह इस क्षेत्र के साथ दुश्वारियों को जन्म दिया लेकिन अब लग रहा है कि भारत वैश्विक उड्डयन के क्षेत्र में एक अहम खिलाड़ी होगा। न केवल वैश्विक भागीदारी, बल्कि अपने नागरिकों के लिए भी यह आर्थिक उन्नयन का बड़ा माध्यम बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना रहा है कि 'हवाई चप्पल पहनने वाले नागरिकों के लिए भी हवाई सफर सस्ता और सुलभ होना चाहिए'। सरकार ने जिस दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ हाल ही में एयर इंडिया के विनिवेश का निर्णय लिया है, उसे इस दिशा में बड़े बुनियादी बदलाव के साथ सशक्त आर्थिक सुधारों की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मानना है कि मोदी सरकार ने हवाई यात्राओं का लोकतन्त्रीकरण करने का आधारभूत काम किया है। हाल ही में इस मंत्रालय का कार्य संभालने वाले श्री सिंधिया निरन्तर नवाचारों के माध्यम से मंत्रालय को नई पहचान दिलाने में लगे हैं। पीएम मोदी ने हाल ही में देश के बौद्ध तीर्थ स्थलों को दुनियाभर के पर्यटकों से जोड़ने के लिए भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर जाने के लिए वहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। सरकार की कोशिश है कि अगले 3-4 साल में देश में 200 से ज्यादा एयरपोर्ट, हेलीपोर्ट और वाटर डोम का संजाल निर्मित किया जाए।
मोदी सरकार के कार्यकाल में 61 नए हवाई अड्डे
देश में हवाई यात्रा को बढ़ावा देने के मकसद से मोदी सरकार ने अपने दोनों ही कार्यकालों में काफी काम किया है। जैसा कि केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं, 'देश में पिछले 70 वर्षों में सिर्फ 75 हवाई अड्डे बनाए गए थे। वहीं पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान देश में 61 नए हवाई अड्डे बनाए जा चुके हैं।' इन सभी हवाई अड्डों को बनाने का उद्देश्य छोटे शहरों में हवाई यात्रा मुहैया कराना है जिससे आम लोगों को हवाई विमान में यात्रा करने का मौका सहजता से मिल सके।
उड़ान योजना 15 जून, 2016 को जारी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति यानी एनसीएपी का एक प्रमुख घटक है। इसके तहत करीब 500 किलोमीटर के लिए एक फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट विमान से एक घंटे की यात्रा या किसी हेलीकॉप्टर से आधे घंटे की यात्रा का हवाई किराया 2500 रुपये होगा। इसके साथ ही इस योजना के तहत देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है।
एयरपोर्ट अथॉरिटी आॅफ इंडिया के मुताबिक देश में अभी कुल 486 हवाई अड्डे और हवाई पट्टियां हैं। इनमें से कई चालू हालत में भी नहीं हैं। जबकि, कइयों का इस्तेमाल सेना करती है। वर्तमान में कुल 34 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे देश में हैं। सबसे अधिक चार-चार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तमिलनाडु और केरल में हैं। उत्तर भारत के किसी भी राज्य में दो से अधिक एयरपोर्ट नहीं हैं।
अकेले उप्र में होंगे पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे
कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रधानमंत्री ने हाल ही में शुभारंभ किया है। अयोध्या में भी इसी तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाना है। इस तरह उप्र में पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हो जाएंगे जबकि 21 एयरपोर्ट और सात हवाई पट्टियों के क्रियाशील होने की प्रक्रिया इस राज्य में चल रही है। शीघ्र ही उत्तर प्रदेश सबसे अधिक पांच अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य होगा। श्री सिंधिया के अनुसार वर्ष 2024 तक जेवर से भी अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं शुरू करने की तैयारी है।
पूर्वोत्तर की नई उड़ान
कभी देश की मुख्यधारा से कटा रहने वाला पूर्वोत्तर आज मोदी सरकार की उड्डयन नीतियों के कारण देश के किसी भी कोने से घण्टों के सफर का केंद्र बन गया है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार पूर्वोत्तर के लोगों को मोदी सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। अब यहां रहने वालों के लिए हवाई सफर बिल्कुल आसान हो गया है। सरकार ने यहां 6 रूटों पर विमान सेवा शुरू की है। इन 6 रूटों पर फ्लाइट सर्विस का जिम्मा एलायंस एयर को मिला है। जिन मार्गों को आॅपरेशनल किया गया है उनमें शामिल हैं-
- कोलकाता-गुवाहाटी
- गुवाहाटी-आइजोल
- आइजोल-शिलांग
- शिलांग-आइजोल
- आइजोल-गुवाहाटी
- गुवाहाटी-कोलकाता
सरकार की उड़ान योजना के तहत देश में पहले 100 रूट अकेले पूर्वोत्तर में है। इनमें से 50 पहले से ही चालू हैं।
2014 में, पूर्वोत्तर में केवल 6 हवाई अड्डे चालू थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हवाई सम्पर्क को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए, इसका असर है कि 7 वर्ष की छोटी अवधि में पूर्वोत्तर में आज 15 हवाई अड्डे काम कर रहे हैं। सरकार ने इस इलाके में किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए भी बुनियादी कदम उठाए हैं। इसके लिए कृषि उड़ान योजना के तहत निर्यात अवसरों को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 16 हवाई अड्डों को चिन्हित किया गया है।
दो हजार वाणिज्यिक विमान होंगे आकाश में
भारत दुनिया में नागरिक उड्डयन का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार है जिसमें तेज वृद्धि दिख रही है और यह लंबी उड़ान के लिए तैयार है। देश में जिस तरह से विमान बेड़ों का विस्तार हो रहा है, उससे आशा है कि देश में जल्दी ही लगभग 2000 वाणिज्यिक विमान आकाश में होंगे। नागर विमानन मंत्रालय हवाई अड्डों की अवसंरचना विकास पर 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ मिलकर देश में हवाई अड्डों की मौजूदा संख्या को दुगुना करेगा।
नए भारत की 'उड़ान'
केंद्र सरकार की 'उड़ान' योजना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसके अंतर्गत देश के छोटे शहरों को वायु सेवा से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर सरकार तेजी के साथ चरणबद्ध ढंग से काम कर रही है। इस योजना के तहत बंद पड़ी हवाई पट्टियों और सेना के एयरबेस का इस्तेमाल नागरिक उड़ानों के लिए किया जाना है। साथ ही नए हवाई अड्डे भी बनाए जा रहे हैं।
इस महत्वाकांक्षी उड़ान योजना के तहत पिछले वर्षों में 900 से अधिक नए हवाई मार्ग स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 350 से अधिक पर हवाई सेवा शुरू हो गई है। 50 से अधिक नए हवाई अड्डे या बंद पड़ी हवाई पट्टियां, जो पहले सेवा में नहीं थीं, उन्हें उड़ान योजना के तहत चालू कर दिया गया है। इस योजना के तहत छह नए हेलीपोर्ट भी बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त अगरतला और देहरादून हवाई अड्डों के लिए बढ़ी हुई यात्री क्षमता वाले नए टर्मिनलों पर भी तेजी से काम शुरू हुआ है। उड़ान योजना के तहत घोषित किए 50 नए मार्गों में से 30 तो इसी साल अक्तूबर के अंत तक शुरू हो चुके होंगे। श्री सिंधिया के अनुसार दूसरा टर्मिनल देहरादून हवाई अड्डे पर स्थापित किया जाएगा। इसके निर्माण में 457 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। नया टर्मिनल भवन वर्तमान में 250 यात्रियों की तुलना में 1,800 यात्रियों की क्षमता को संभालने में सक्षम होगा। इसके बाद त्रिपुरा के अगरतला में एक नया टर्मिनल बनना है। इसका निर्माण 490 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है, जो कि वर्तमान की 500 यात्री प्रति घंटे की तुलना में प्रति घंटे 1200 यात्रियों का संचालन कर सकेगा।
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित जेवर में एक प्रमुख हवाई अड्डे का निर्माण प्रगति पर है। यह न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। जेवर हवाई अड्डे की परियोजना करीब 35,000 करोड़ रुपये की है। हाल ही में लोकार्पित कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अलावा केशोद (गुजरात), गोंदिया (महाराष्ट्र), सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र), और देवघर (झारखंड) में नए हवाई अड्डों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इस उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों के अलावा उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 6 हेलीपोर्ट भी विकसित किए जा रहे हैं। इनके रखरखाव, मरम्मत और अन्य गतिविधियों के लिए भी मंत्रालय ने एक नई नीति की घोषणा की है। मंत्रालय की घोषणा के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के संजोली, सासे, बद्दी एवं मंडी और उत्तराखंड के हल्द्वानी एवं अल्मोड़ा में हेलीपोर्ट बनाये जा रहे है।
नई ड्रोन नीति
ओला, उबर की तरह मिलेंगे ड्रोन : सिंधिया
नागरिक उड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि ड्रोन तकनीकी भारत के आम जनजीवन का अनिवार्य हिस्सा बने, इसलिए उन्होंने सस्ती,सरल और सुगम्य ड्रोन नीति के निर्माण पर खासा जोर दिया है। उनके नेतृत्व में जिस नई ड्रोन पॉलिसी की घोषणा हुई है, वह भारत में 21वीं सदी की सोच और विचारधारा के लिए नया इतिहास रचेगी। इस नई ड्रोन नीति के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर श्री सिंधिया द्वारा बताई गई बातों का सार
संक्षेप : अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे- कृषि, खनन, आधारभूत संरचना, निगरानी, आपातकालीन परिस्थितियों, परिवहन, मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी को ड्रोन से जबरदस्त लाभ मिल रहा है और आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल और बढ़ना है। कई देशों की सेना ने अपनी सीमा सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग में इसके बढ़ते इस्तेमाल और विशाल घरेलू मांग को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बन सकता है। ड्रोन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की स्थापना करने की भी तैयारी कर रही है।
एक सशक्त इकोसिस्टम : हमारा सोच है एक इकोसिस्टम बने जिसके आधार पर एक क्रांति भारत में आए। उन्होंने कहा, हम परिवहन, रसद, रक्षा, खनन, बुनियादी ढांचा क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों में ड्रोन आवेदन सुनिश्चित करने जा रहे हैं। इससे बहुत रोजगार पैदा होंगे।
स्वामित्व योजना : इसके तहत देश के साढ़े छह लाख गांवों में ड्रोन पहुंचने वाला है। हर गांव की डिजिटल मैपिंग में ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। हैदराबाद से मणिपुर, जम्मू-कश्मीर तक, गुजरात-महाराष्ट्र से बिहार तक यूरिया पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
सभी राज्यों से चर्चा करके एयर स्पेस मैप को अपलोड कर दिया गया है-रेड एरिया, यलो एरिया और ग्रीन एरिया। प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट आदेश है कि इस पालिसी को सरल बनाओ, इसलिए इसे इतना सुलभ बनाया गया है। यह जीवन के हर क्षेत्र में काम आने वाली सुविधा होगी।
ओला-उबर की तरह ड्रोन मिलेंगे : मैं ट्रांसपोर्ट और कार्गो की बात नहीं कर रहा हूं। मुझे लगता है कि जल्द ही ऐसा वक्त भी आएगा जब शहर के इस कोने से उस कौने तक जिस प्रकार ओला और ऊबर से जाते हैं, उसी प्रकार हम ड्रोन को बुलाएंगे। हम उसमें बैठेंगे और वो हमें उड़ाकर ले जाएगा। इसका पैसा भी आपके भीम एप से कट जाएगा।
उड़ान योजना 15 जून, 2016 को जारी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति यानी एनसीएपी का एक प्रमुख घटक है। इसके तहत करीब 500 किलोमीटर के लिए एक फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट विमान से एक घंटे की यात्रा या किसी हेलीकॉप्टर से आधे घंटे की यात्रा का हवाई किराया 2500 रुपये होगा। इसके साथ ही इस योजना के तहत देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है। नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय नए मार्गों पर हवाई जहाज चलाने की योजना पर काम कर रहा है। कई रूट ऐसे हैं, जिन पर विमानों का परिचालन शुरू भी कर दिया गया है। कम किराये के कारण विमान सेवा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वॉयेबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में सरकार क्षतिपूर्ति दे रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भी इसके लिए हवाई अड्डा शुल्क माफ कर दिया है। वहीं सुरक्षा, बिजली तथा अग्निशमन सुविधाएं भी राज्य सरकारें नि:शुल्क दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अप्रैल, 2017 को हिमाचल प्रदेश में शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से सस्ती हवाई सेवा उड़ान की शुरूआत की थी। इसके तहत शिमला से दिल्ली के लिए पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा मैं चाहता हूं कि हवाई जहाज में हवाई चप्पल वाले लोग दिखाई दें। आज यह बात जमीन से आकाश तक साकार होती दिख रही है।
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