संजीव कुमार
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर 2013 में हुंकार रैली के दौरान हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने चार अभियुक्तों को फांसी, दो को आजीवन कारावास, दो को दस वर्ष के कारावास एवं एक अभियुक्त को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। सभी नौ अभियुक्तों को पटना के बेऊर जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायालय में पेश किया गया था। एनआईए के विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिंह थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता इमरान गनी ने अभियुक्तों का पक्ष रखा। विशेष लोक अभियोजक ने दोषियों के कड़ी से कड़ी सजा की मांग की। जबकि अधिवक्ता सैयद इमरान गनी ने मामले की परिस्थितियों और अभियुक्तों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया। विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोषियों को सजा सुनाई। हैदर अली, नोमान अंसारी, मो. मुजिबुल्लाह अंसारी, इम्तियाज आलम को फांसी की सजा दी गई। उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी को उम्रकैद, अहमद हुसैन, मो. फिरोज असलम को दस साल, इफ्तिखार आलम को सात साल की सजा दी गई।
यह बम धमाका प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान 27 अक्टूबर, 2013 को हुआ था। इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हो गए थे। पहला बम धमाका 9 बजकर 55 मिनट पर पटना जंक्शन के शौचालय में हुआ था। गांधी मैदान में पहला बम धमाका 11.40 मिनट के करीब हुआ था। एक-एक करके गांधी मैदान में कई बम धमाके हुए। यह विश्व की अनूठी रैली थी। लोग बम धमाकों में बेहोश होकर गिरते रहे, लेकिन कोई भगदड़ नहीं मची। मंच से धैर्य बरतने की अपील की गई। नरेन्द्र मोदी को सुनने के लिए पटना की हुंकार रैली में दीवानगी थी। बम धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का भी इस्तेमाल किया गया था।
रांची में रची गई थी इस सीरियल बम ब्लास्ट की साजिश
गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट की साजिश रांची और रायपुर में रची गई थी। बोध गया में 7 जुलाई, 2013 को एक प्रकार से इसका पूर्वाभ्यास किया गया था। इस बम धमाकों की योजना इंडियन मुजाहिद्दीन के जिहादियों ने बनाई थी। बोधगया ब्लास्ट का मास्टरमाइंड हैदर और मुजिबुल्लाह थे। वहां हैदर ने बौद्ध भिक्षु बनकर बम प्लांट किया था। हुंकार रैली में ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ का जुगाड़ कर रांची में जमा किया था। इन बम धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता मो. हैदर था। उसे ही रांची मॉड्यूल का इंचार्ज बनाया गया था। उसने कुछ और युवकों को जोड़ा। 27 अक्टूबर को घटना को अंजाम देने के लिए आठ आतंकी सुबह में ही बस के जरिए रांची से पटना पहुंचे थे। साजिश के अनुसार सभी काम करने लगे। पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 के शौचालय में मानव बम बनते समय विस्फोट हो गया और एक आतंकी की मौत हो गई थी। पटना जंक्शन पर ब्लास्ट करते समय मो. इम्तियाज पकड़ा गया था। उससे कड़ी पूछताछ में कई राज खुले। एनआईए ने रांची के हिंद पीढ़ी में छापेमारी की। आरोपियों ने रायपुर में भी प्रशिक्षण लिया था। रायपुर से ही उमर सिद्दकी और अजहरूद्दीन की गिरफ्तारी हुई। रायपुर में ही नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर विस्फोट करने की योजना बनी थी। रांची में इसे कार्यान्वित करने की योजना बनी थी।
हैदर और मुजिबुल्लाह की गिरफ्तारी 14 मई, 2014 को रांची से हुई थी। नुमान और तौकीर पलामु से पकड़े गए थे। हैदर और मुजिबुल्लाह से जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ था। आतंकियों की यह भी योजना थी कि अगर वे कामयाब नहीं हुए तो सभा में सीरियल ब्लास्ट कर भगदड़ मचा देंगे, जिससे सभा में कई लोगों की मौत हो जाएगी। 2014 में सभी आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद 187 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई।
आठ साल इस मामले में सजा दी गई है। जेल में बंद दस अभियुक्तों को पिछले 27 सितंबर को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इस मामले में अदालत ने नौ को दोषी और एक को बरी कर दिया था। आज एनआईए को अदालत ने चार दोषियों को फांसी, दो को आजीवन कारावास, दो अभियुक्त को दस वर्ष तथा एक को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
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