पश्चिम उत्तर प्रदेश में इन दिनों AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक के बाद एक लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। विपक्षी दल ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बता रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ओवैसी के हाथों से मुस्लिम वोट बैंक खिसकता दिखाई दे रहा है। ओवैसी की जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ से कांग्रेस, सपा और बसपा सबसे ज्यादा परेशान है कि उनको मिलने वाला वोट कहीं ओवैसी की पार्टी की तरफ न खिसक जाए। यही वजह है परेशान नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया है कि ओवैसी की पार्टी बीजेपी की बी टीम है।
‘सपा, कांग्रेस और बसपा मौका परस्त पार्टियां’
कांग्रेस, सपा और बसपा के आरोपो पर ओवैसी का कहना है कि ये राजनीतिक दल मुस्लिमों को सिर्फ वोट लेने के लिए इस्तेमाल करते रहे है। चुनाव जीतते ही इनके माइक मुस्लिमों के लिए बंद हो जाते हैं। ओवैसी ने सीएए और एनआरसी का भी मुद्दा गरमा दिया है। उनका कहना है कि हम इसका विरोध करते हैं और करते रहेंगे। सपा, कांग्रेस और बसपा के नेता खामोश रहते हैं। ये सिर्फ मौका परस्त पार्टियां हैं।
‘मुस्लिम नेता को उभरने नहीं दिया’
ओवैसी की मजलिस पार्टी ने यूपी की 100 और उत्तराखंड की 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उन्हीं इलाकों में ओवैसी जनसभाएं कर रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपने यहां किसी मुस्लिम नेता को उभरने नहीं दिया। इधर राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कांग्रेस, सपा, बसपा को खासी चुनौती मिलने वाली है।
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