मनोज ठाकुर
दिल्ली बॉर्डर पर रास्ता खोलने के मामले में तथाकथित किसान नेता अब खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं। पहले इनका दावा था कि रास्ता पुलिस ने बंद किया है। अब जब पुलिस रास्ता खोलने लगी तो इन्हें समझ में आ गया कि लोग यहां से आवाजाही करेंगे और उन्हें सच पता चल जाएगा कि यहां तो किसान हैं ही नहीं। इसलिए अब वे चाहते हैं कि रास्ता खुले ही नहीं, ताकि जनता के बीच भ्रम की स्थिति बनी रहे कि किसान धरने पर बैठे हैं। सच तो यह है कि वहां किसान हैं ही नहीं। बस विपक्ष और देशद्रोही ताकतों के इशारे पर काम करने वाले तथाकथित किसान नेता और उनके कुछ गुर्गे ही यहां हैं।
किसानों की आड़ में विपक्ष और देश विरोधी ताकतों के लिए काम करने वाले राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी अपनी पोल खुलता देख कर एक बार फिर से किसानों बरगलाने में जुट गए हैं। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। टिकैत जहां धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं, वहीं गुरनाम सिंह चढूनी खुद को बेचारा दिखाने की कोशिश में लगे हुए हैं। टिकैत ने धमकी भरे लहजे में ट्वीट किया है कि किसानों को अगर बॉर्डर से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देशभर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे। गुरनाम सिंह चढ़ूनी और जगजीत डल्लेवाल ने केंद्र सरकार को अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी दी है। भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई (चढ़ूनी गुट) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसानों को छेड़ने की कोशिश हुई तो इस बार दिवाली नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर मनाएंगे। वहीं, किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर खोलने का कोई भी फैसला आधा-अधूरा नहीं होगा। जो होगा, उसमें सबकी सहमति होगी।
युवा किसान संघ के उपप्रधान करणदीप सिंह चौहान कहते हैं कि राकेश टिकैत पर देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए। वह आखिर कैसे इस तरह से सरकार को धमका सकते हैं? राकेश टिकैत अब माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ भी टिप्पणी कर रहे हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है। वे केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार की शांतिप्रिय नीति का गलत फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वे उपद्रव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह, चढूनी कभी किसानों को तैयार रहने के लिए बोल रहे हैं, तो कभी बॉर्डर की ओर आने की बात कर रहे हैं।
चौहान का कहना है कि जनता के बीच इन तथाकथित किसान नेताओं की पोल खुलनी शुरू हो गई है। लोगों को पता चल गया है कि ये राजनीति कर रहे हैं। राकेश टिकैत तो सरेआम हरियाणा की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। वे ऐलनाबाद उपचुनाव में एक दल विशेष के पक्ष में मतदान करने तक की अपील करके आए हैं। इससे साफ हो जाता है कि यह वे विपक्ष के इशारे पर काम कर रहे हैं। जिस तरह से हरियाणा सरकार किसानों के हित में काम कर रही है, इससे तथाकथित किसान नेता बौखला गए हैं। किसान समझ गए कि टिकैत और चढूनी उनके कंधे पर सवार होकर राजनीति कर रहे हैं। इसलिए किसान अपने खेतों और काम पर वापस आ रहे हैं। अब बॉर्डर खाली होने लगे तो यह तथाकथित किसान नेता चिल्ला रहे हैं। दुहाई दे रहे हैं कि किसान यहां आएं। लेकिन अब किसान इनकी बातों में नहीं आ रहे हैं।
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