तिब्बत एशिया में जल का मुख्य स्रोत है। भारत की सीमा के उस पार से आने वाली सिंधु से लेकर भारत की गंगा तथा ब्रह्मपुत्र, चीन की पीली नदी और वियतनाम की मेकांग नदी तक तिब्बत से ही निकलती है
वेब डेस्क
ग्लासगो में आज शाम से होने जा रहे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर तिब्बत के धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने विश्व के नेताओं से इस संदर्भ में महत्वपूर्ण अपील की है। उन्होंने कहा है कि तिब्बत एशिया में जल का मुख्य स्रोत है। भारत की सीमा के उस पार से आने वाली सिंधु से लेकर भारत की गंगा तथा ब्रह्मपुत्र, चीन की पीली नदी और वियतनाम की मेकांग नदी तक तिब्बत से ही निकलती है। हमें तिब्बत की परिस्थितिकी को बचाने की तरफ ज्यादा ध्यान देना होगा। यह कदम सिर्फ 60-70 लाख तिब्बतियों के लिए ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की संपूर्ण आबादी के हित में होगा। उल्लेखनीय है कि तिब्बत को अपना 'अभिन्न अंग' बताकर उस पर जबरन अपना हक जमाए बैठा चीन इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन कर रहा है। अपनी विभिन्न परियोजनाओं के लिए वह इस क्षेत्र के वातावरण और यहां की जलवायु को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है।
परम पावन दलाई लामा ने दुनिया के शीर्ष नेताओं से क्षेत्र में तिब्बत की परिस्थितिकी पर और ज्यादा ध्यान देने का आह्वान किया है। उनकी यह अपील ग्लासगो में आज से जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए होने जा रहे शिखर सम्मेलन को देखते हुए खासी महत्वपूर्ण हो जाती है। स्काटलैंड की राजधानी ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में दुनिया भर के नेता भाग ले रहे हैं।
परम पावन दलाई लामा को उद्धत करते हुए रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट है कि तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का जिस तरह दोहन कर रहा है उसके संदर्भ में परम पावन दलाई लामा की यह अपील बहुत समीचीन है। उन्होंने दुनिया के शीर्ष नेताओं से क्षेत्र में तिब्बत की परिस्थितिकी पर और ज्यादा ध्यान देने का आह्वान किया है। उनका यह आह्वान ग्लासगो में आज से जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए होने जा रहे शिखर सम्मेलन को देखते हुए खासा महत्वपूर्ण हो जाता है। स्काटलैंड की राजधानी ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में दुनिया भर के नेता भाग ले रहे हैं। ऐसे में दलाई लामा ने तिब्बत के परिस्थितिकी तंत्र तथा वैश्विक जलवायु संकट के संदर्भ में सबसे ज्यादा आबादी वाले एशिया का उल्लेख किया।
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन की 1.4 अरब, भारत की 1.3 अरब सहित दक्षिण एशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश के करोड़ों लोग बहुत हद तक तिब्बत से निकलने वाले पानी पर आश्रित हैं।
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