देहरादून में गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी के चुनावी एजेंडे को साफ कर दिया। शाह ने कांग्रेस नेता हरीश रावत को मुस्लिम परस्त बताकर ये स्पष्ट कर दिया कि अगला चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा जाने वाला है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उत्तराखंड दौरे ने राजनीतिक समीक्षकों के लिए कई सवाल-जवाब छोड़ दिए। एक सभा में शाह ने जब अपने भाषण में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जुमे की नमाज के लिए मुस्लिमों को छुट्टी देने और राष्ट्रीय राजमार्गों पर नमाज की अनुमति देने का जिक्र किया तो उसके बाद से राजनीतिक समीक्षक यह मानने लगे हैं कि बीजेपी विधान सभा चुनाव से पहले हिंदुत्व की राह पकड़ रही है।
शाह ने मुद्दे को उठा दिया
हरीश रावत के शासन काल में ही उत्तराखंड में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी राज्य के मैदानी जिलों में बढ़ी। उनकी हरिद्वार और किच्छा में दो-दो स्थानों में चुनाव हार जाने की एक बड़ी वजह यह भी थी कि वह मुस्लिम वोट के भरोसे यहां चुनाव लड़े और हिंदुओ के एक हो जाने की वजह से हार गए। उनके नमाज पढ़ते चित्रों ने हिंदुओ को खासा नाराज किया और शाह फिर से इस मुद्दे को जिंदा कर गए। अमित शाह ने भाषण में बार-बार हरीश रावत को निशाना बनाया। वो इशारों-इशारों में कह गए कि यदि उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस को लाने की गलती की तो फिर यहां मुस्लिम परस्त राजनीति का बोलबाला हो जाएगा।
साधु-संतों का लिया आशीर्वाद
शाह को बेहतर मालूम है कि उत्तराखंड में पांच साल कांग्रेस और पांच साल बीजेपी को जनता मौका देती है। वह इस बार इस मिथक को तोड़ने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि बदरी-केदार तक हमारी नई सड़कें, नई रेल लाइन बिछ रही हैं। करीब एक लाख करोड़ के प्रोजेक्ट यहां चल रहे हैं ताकि देवभूमि की धार्मिक यात्रा सुगम हो सके। उन्होंने बदरी-केदार धाम में चल रहे पुनर्निर्माण के कामों का जिक्र करते हुए कहा कि श्री नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने उत्तराखंड के तीर्थाटन की चिंता की है। अमित शाह देहरादून के बाद सीधे हरिद्वार साधु-संतों की शरण में पहुंचे। गायत्री परिवार शांति कुंज में कार्यक्रम में उन्होंने गायत्री मंत्र में आस्था जताई। इसके बाद वह स्वामी अवधेशानंद और अन्य साधु-संतों से मिले। इन दोनों बड़े धार्मिक संस्थानों के देश-विदेश में करोड़ों अनुयायी हैं। शाह के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी थे। उन्होंने साधु-संतों से आशीर्वाद लिया, साथ ही एक संदेश भी दिया कि राज्य की बीजेपी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के लिए जरूरी है।
राष्ट्रवाद भी एजेंडा
बीजेपी ने हिंदुत्व के साथ-साथ राष्ट्रवाद को भी अपना एजेंडा उत्तराखंड में बनाया है। बड़ी संख्या में यहां रहने वाले फौजी परिवारो के लिए सम्मान में अमित शाह ने अपने भाषण में कई बार जिक्र किया। सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार चुनाव से पहले सशक्त भू-अध्यादेश भी लाने की तैयारी में है। पहाड़ों में बढ़ रही गैर हिन्दू आबादी से यहां के युवाओ में गुस्सा है और वे सोशल मीडिया पर इस बारे में मुहिम चला कर इस विषय को राजनीतिक मुद्दा बना चुके हैं। बीजेपी सरकार पहाड़ी तीर्थस्थलों को गैर हिन्दू क्षेत्र भी घोषित करने पर भी विचार कर सकती है अंग्रेजी शासन के समय कुछ शहर ऐसे थे जहां केवल हिन्दू बसावट थी।
क्या कहते हैं राजनीतिक समीक्षक
अमित शाह के दौरे के बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक मनमोहन भट्ट कहते हैं कि अमित शाह ने बीजेपी का चुनाव एजेंडा तय कर दिया कि वह हिंदुत्व की राह पर चलेगी। राजनीतिक जानकर योगेश राणा कहते हैं कि हरीश रावत को कटघरे में खड़ा करने और उन्हें मुस्लिम परस्त साबित करने में अमित शाह ने कोई कसर नहीं छोड़ी। यूपी की तरह उत्तराखंड को भी हिंदुत्व के एजेंडे में ले जाना बीजेपी की प्राथमिकता होगी। पहाड़ों पर गांव-गांव घूमने वाले राजनीतिक चिंतक रतन सिंह असवाल कहते हैं कि बीजेपी ऐसा नहीं करेंगी तो उसका वोट जाति, क्षेत्र के आधार पर बंट जाएगा। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले हिमांशु अग्रवाल कहते हैं कि जिस तरह से मुस्लिम आबादी उत्तराखंड में बढ़ रही है, उस पर नियंत्रण के लिए बीजेपी को हिंदुत्व एजेंडे में कोई ठोस काम भी करना होगा तभी वो अगले विधानसभा चुनावों में लोगों के दिलों में जगह बना पाएगी।
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