डासना के देवी मंदिर के बहुचर्चित पुजारी यति नरसिंहानन्द को महामंडलेश्वर बनाया गया है। जूना अखाड़े के साधु-संतों ने उन्हें इस उपाधि से सुशोभित किया। यति नरसिंन्हानन्द सरस्वती के लिए पंच दशनाम जूना अखाड़े ने विशेष आयोजन कर उनका उपाधि अभिषेक किया। उनके विषय में अखाड़े ने कहा है कि उन्हें कट्टरपंथी लोगों से खतरा था। हिन्दू समाज में उनके योगदान को देखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए जूना अखाड़ा जिम्मेदारी ले रहा है।
नरसिंहानन्द सरस्वती का पहले नाम दीपेंद्र नारायण त्यागी था। उनका जन्म बुलन्दशहर के हिंनोत गांव में हुआ। वह 12वीं के बाद पढ़ाई के लिए मॉस्को गए। वापस लौटने के बाद नौकरी की। वर्ष 2002 में उनका मन अध्यात्म में लग गया। संत ब्रह्मानंद से सन्यास की दीक्षा लेकर वो सन्यासी बन गए और डासना देवी मंदिर से जुड़ गए। उन्हें यति नरसिंहानंद सरस्वती नाम भी सन्यास के दौरान मिला।
कई बार हमले हुए
अक्सर हिन्दूवादी बयानों से चर्चा में रहने वाले यति जी पर सपा-बसपा सरकार में सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। उन्हें कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों की धमकियां मिलने से उनकी सुरक्षा के लिए कई बार अखाड़ों और यूपी सरकार ने प्रबन्ध किया है। डासना में धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ यति नरसिंहानंद ने क्षेत्र में अपनी आवाज बुलन्द की हुई है। इस वजह से उन पर कई बार हमले भी हुए हैं।
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