झारखंड के पतरातू में रहने वाले संजय सिंह उन लोगों के लिए काम करते हैं, जो गरीब हैं और इस कारण अपने किसी परिजन के मरने पर उसका अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाते। 50 वर्षीय संजय लगभग 35 वर्ष से समाज सेवा कर रहे हैं। वे अब तक 1,462 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके साथ ही वे लोगों के घरों से लगभग 8,000 सांपों को पकड़ कर उन्हें जंगल में छोड़ चुके हैं।
संजय सिंह बाल्यकाल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। वे केवल अंतिम संस्कार ही नहीं करवाते, बल्कि जो लोग अपने मृत परिजनों का श्राद्ध नहीं कर पाते हैं, उनका वे श्राद्ध भी करते हैं। इसके लिए संजय लोगों से सहयोग लेते हैं।
यह पूछने पर कि समाज सेवा में कैसे आए? संजय कहते हैं, ‘‘मैं जब 13 साल का था, तब मेरे घर के पास दो गरीब लोगों की मौत हो गई। गरीबी के कारण उनके घर वाले उनका अंतिम संस्कार करने की स्थिति में नहीं थे। उनकी इस स्थिति से बहुत दु:ख हुआ। इसके बाद मैंने अपने घर वालों से कहा कि उन दोनों के अंतिम संस्कार के लिए हमें कुछ करना चाहिए। मेरी इस सोच से घर वाले भी प्रभावित हुए। फिर गांव के अन्य लोगों को भी यह बात बताई गई। सभी उन शवों के अंतिम संस्कार के लिए तैयार हो गए। निर्णय हुआ कि इसके लिए लोगों से सहयोग लिया जाए और ऐसा ही हुआ। इसके बाद सबके सहयोग से उन शवों का दाह संस्कार कर दिया गया।’’
इसके बाद पूरे इलाके में संजय की इस पहल और सोच की सराहना होने लगी। अब जब भी उनके इलाके में किसी गरीब की मौत हो जाती है, तो लोग संजय को ही बुलाते हैं। और वे ही अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था करते हैं। बाद में उन्होंने लावारिस लाशों का भी अंतिम संस्कार करना शुरू किया। जब भी पुलिस को ऐसा कोई शव मिलता है, तो वह आवश्यक कागजी कार्रवाई के बाद संजय को ही शव सौंप देती है।
समाज सेवा के कारण संजय अपना कुछ निजी काम नहीं कर पाते हैं। चूंकि उनका परिवार संयुक्त परिवार है, इसलिए उनकी जरूरतें पूरी हो जाती हैं। परिवार के लोग ही उनके दो बेटों और एक बेटी की पढ़ाई का खर्च वहन करते हैं। यानी उन्हें समाज सेवा के लिए परिवार का पूरा समर्थन मिलता है। यही कारण है कि वे दिन-रात समाज सेवा में ही लगे रहते हैं। इस काम को उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है।
अब पूरे रामगढ़ जिले के लोग संजय से भलीभांति परिचित हैं। वे सांपों को बचाने के लिए भी जाने जाते हैं। जब भी किसी के घर में सांप निकलता है, तो लोग उन्हें बुलाते हैं। संजय आते भी हैं और किसी न किसी तरीके से सांप को घर से निकलने के लिए मजबूर करते हैं और उसे पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं। संजय का कहना है कि आबादी बढ़ने से लोग जंगलों को काटकर घर बना रहे हैं। इस कारण जंगल में रहने वाले जीव-जंतु उनके घरों में आ जाते हैं। इसमें उनका कोई दोष नहीं है, इसलिए उन्हें न मारें। जंगली जीव-जंतुओं को मारने से वे विलुप्त होने के कगार पर हैं। इसका असर मानव जीवन पर ही पड़ता है। आखिर मनुष्य का जीवन-चक्र तभी अच्छा रहेगा जब इस सृष्टि का हर जीव सुरक्षित हो।
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