पिथौरागढ़ जिले में चीन से लगी सीमा तक जल्द ही सुरक्षा की गश्त जीपों से होगी। सीमा तक रसद घोड़ों से नहीं बल्कि सेना के ट्रकों से पहुंचाई जाएगी। बीआरओ ने अगले साल तक मध्य तक सीमा तक पहुंचने वाली तीन महत्वपूर्ण सड़कों का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। चीन सीमा से लगी मिलम धापा सड़क 43 किमी में 27 किमी बनकर तैयार हो गयी है। अभी तक इस सीमांत क्षेत्र में घोड़ों से या फिर पैदल ही जाया जाता था। इस सड़क को मंजूरी 2008 में मिली थी परंतु काम में 2015 में तेजी आई। दिन-रात चल रहा है काम 13500 फुट ऊंचाई वाले इस हिमालयी सीमांत क्षेत्र में बीआरओ दिन-रात चट्टानें काट कर रास्ता बना रहा है। चीन अपनी सीमा पर गश्त जीपों के सहारे करता आया है। उसने बॉर्डर तक पहले ही सड़क बना ली थी। मोदी सरकार ने जब अपनी सुरक्षा नीति को चीन के साथ देखना शुरू किया तब इस सड़क पर काम ने तेज रफ्तार पकड़ी। व्यास घाटी में धारचूला से लीपूपास, आदि कैलाश तक बीआरओ नें सड़क बना दी है। हालांकि इसमें अभी सुगमता नहीं है फिर भी चार पहिया गाड़ियां वहां पहुंच रही हैं। एक और महत्वपूर्ण सड़क बुगडियार से रेमकोट से मिलम तक 31 किमी की तैयार हो गयी है। इसमें अभी 14 किमी की कटाई बाकी है। फिर अगले चरण में धापा से बुगडियार तक 21 किमी की सड़क को जोड़कर आने-जाने के रास्ते बना दिये जाएंगे। रक्षा जरूरतों के लिए ये सड़कें बेहद अहम मानी जा रही हैं। इन सड़कों के बन जाने से साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। व्यास और दारमा घाटी बेहद खूबसूरत है। यहां से आदि कैलाश ॐ पर्वत और पंचाचूली जाना आसान हो जाएगा। 12 महीने होगी रसद की आपूर्ति पिछले दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने इन सड़कों की कार्यप्रगति को आकर देखा और यहां सड़क कटर और अन्य उपकरणों की जरूरत को समझा। खबर है इस साल की सर्दियों में भी सड़क बनाने का काम चलेगा। इन सड़कों के बन जाने से आईटीबीपी और सेना को बारह महीने रसद की आपूर्ति हो सकेगी।
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