गत दिनों झारखंड सरकार ने रांची स्थित विधानसभा में एक कक्ष नमाज के लिए आवंटित कर दिया था। इसका दुष्प्रभाव अब दिखने लगा है। राज्य के कई मुस्लिम—बहुल स्थानों पर मुसलमान हर शुक्रवार को सरकारी विद्यालयों में ताला लगाने लगे हैं। इनका कहना है कि शुक्रवार को नमाज का दिन होता है, इसलिए इस दिन छुट्टी होनी चाहिए, लेकिन नियमानुसार यह संभव नहीं है। इस कारण ये लोग अपने क्षेत्र में जबरन सरकारी विद्यालयों को बंद करवा देते हैं।
ताजा मामला जामताड़ा का है। गत 1 अक्तूबर यानी शुक्रवार को जामताड़ा जिले के कर्माटांड़ प्रखंड अंतर्गत बिराजपुर उच्च विद्यालय में नमाज पढ़ने के लिए कट्टरवादियों ने स्कूल में ताला लगा दिया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि स्कूल में मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है इसीलिए शुक्रवार को नमाज पढ़ने के लिए स्कूल में छुट्टी दे दी जाए और रविवार के दिन स्कूल खोल दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि जामताड़ा जिले में सात—आठ उर्दू प्राथमिक और मध्य विद्यालय हैं, जो शुक्रवार को बंद रहते हैं। यहां रविवार को पढ़ाई होती है, जबकि उच्च विद्यालय के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अब हर शुक्रवार को कट्टरवादी बिराजपुर उच्च विद्यालय को बंद कर देते हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके पीेछे जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी की बड़ी भूमिका है। उनकी शह पर ही कट्टरवादी तत्व स्कूल में ताला लगा देते हैं। अब तो यह भी कहा जा रहा है कि विद्यालय प्रबंधन ने भी विद्यालय को मौखिक रूप से हर शुक्रवार को बंद करने का आदेश दे दिया है। नियमानुसार लिखित में ऐसा कोई आदेश दिया नहीं जा सकता है, इसलिए सब कुछ मौखिक में किया गया। कहा जा रहा है कि विधायक ने मौखिक रूप से विद्यालय प्रबंधन पर दबाव डालकर ऐसा करवाया है। विद्यालय के प्रधानाचार्य और अधिकतर शिक्षक हिंदू हैं। पता चला है कि ये लोग विधायक की दबंगई से परेशान हैं। इसलिए विद्यालय के अधिकतर शिक्षक और किसी विद्यालय में जाना चाहते हैं।
विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष अनूप राय कहते हैं, ''जामताड़ा में मजहब की आड़ में गंदी राजनीति की जा रही है। कुछ लोग यहां के शिक्षण संस्थानों को शरिया कानून के हिसाब से चलाना चाहते हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए विहिप ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है। यदि उपायुक्त की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो विहिप इस मामले को न्यायालय की देहरी तक ले जाएगी।'' वहीं झारखंड भाजपा के प्रवक्ता अवीनेश कुमार कहते हैं, ''विधायक इरफान अंसारी जब—तब बेमतलब और भड़काने वाली बातें करते रहते हैं। इससे कट्टरवादियों का दुस्साहस बढ़ता है। यदि जामताड़ा की घटना से सबक नहीं लिया गया तो इस तरह की मांग पूरे झारखंड में उठेगी। इसलिए सरकार इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करे।''
लेकिन इन दिनों झारखंड सरकार का जो रवैया है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार ही इस मामले को बढ़ाना चाहती है। इसलिए यह तय है कि राज्य के अनेक हिस्सों में ऐसी मांगें उठने वाली हैं। झारखंड सरकार के लिए नियम कोई मायने नहीं रखता है, उसे केवल शरिया वालों के वोट से मतलब है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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