कोविड से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की ऐसी कमर टूटी है कि अब वह ऋण सेवा निलंबन पहल के दायरे में आया है यानी अब विदेशी कर्ज लेने में उसे काफी दिक्कतें आने वाली हैं
वेब डेस्क
कंगाली की देहरी पर खड़े पाकिस्तान के सिर पर एक और भारी मुसीबत आन पड़ी है। अब तक किसी तरह विदेशी कर्जे पर अपनी दाल गलाता आ रहा यह इस्लामी देश अब किसी देश के आगे कर्जे का कटोरा भी उतनी आसानी से नहीं रख सकेगा। अब विश्व बैंक की दस बड़े विदेशी कर्जदारों की सूची में पाकिस्तान का नाम जुड़ गया है। इसके मायने हैं कि अब उसके लिए बाहर से कर्ज लेना उतना आसान नहीं रह जाएगा।
इसमें संदेह नहीं है कि दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के कर्जे पर पल रहे पाकिस्तान की स्थिति अब और बिगड़ सकती है। विश्व बैंक की ओर से जारी रिपोर्ट बताती है कि कोविड से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की ऐसी कमर टूटी है कि तमाम देशों और संस्थानों से कर्जे ले-लेकर वह दुनिया के 10 चोटी के कर्जदारों में शामिल हो गया है। इतना ही नहीं, अब वह ऋण सेवा निलंबन पहल के दायरे में आया है यानी अब विदेशी कर्ज लेने में उसे काफी दिक्कतें आने वाली हैं।
विश्व बैंक के ये आंकड़े 11 अक्तूबर को जारी किए गए हैं। 'वर्ष 2022 में अंतरराष्ट्रीय ऋण सांख्यिकी' शीर्षक से छापे गए इन आंकड़ों पर न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट है कि बड़े कर्जदारों सहित ऋण सेवा निलंबन के दायरे में आने वाले देशों को मिले कर्जे की दर में आपस में काफी फर्क है। 2020 के अंत में इस दायरे के अंतर्गत आने वाले 10 सबसे बड़े कर्जदारों ने 509 अरब डालर का विदेशी कर्ज लिया हुआ था, जो 2019 के मुकाबले 12 प्रतिशत ज्यादा था।
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार सबसे बड़े कर्जदारों की सूची में जिन देशों के नाम हैं, वे हैं अंगोला, बांग्लादेश, इथियोपिया, घाना, केन्या, मंगोलिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा जांबिया।
ये सही है कि इमरान सरकार से पहले भी पाकिस्तान के हालात कोई अच्छे नहीं थे, लेकिन गत कुछ साल से तो पाकिस्तान पैसे की भारी किल्लत झेल रहा है। हालात इतने खराब हो गये हैं कि बेशर्म मंत्री आम लोगों को रोटी कम खाने और बिना चीनी की चाय पीने की सलाहें देने लगे हैं।
कुछ समय पहले पाकिस्तानी मीडिया में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें लिखा था कि पाकिस्तान पर मौजूदा कर्ज में वर्तमान इमरान सरकार का 40 प्रतिशत योगदान है। ये सही है कि इमरान सरकार से पहले भी पाकिस्तान के हालात कोई अच्छे नहीं थे, लेकिन गत कुछ साल से तो पाकिस्तान पैसे की भारी किल्लत झेल रहा है। हालात इतने खराब हो गये हैं कि बेशर्म मंत्री आम लोगों को रोटी कम खाने और बिना चीनी की चाय पीने की सलाहें देने लगे हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की कंगाली के पीछे कोरोना महामारी एक बड़ी वजह है।
इस वैश्विक महामारी का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बड़ा बुरा असर पड़ा है। इससे उबरने के लिए पाकिस्तान ने यूएई और चीन के साथ ही, आईएएफएफ जैसे कई वित्तीय संस्थानों से कर्जे पर पैसा लिया हुआ है।
ऐसे हालात की वजह से पाकिस्तान में टमाटर, आलू जैसी सब्जियां ही नहीं, बल्कि पेट्रोल और डीजल के मूल्य भी लगातार बढ़ते रहे हैं। साथ ही, इमरान खान की पार्टी पीटीआई के कई बड़े नेताओं पर घोटालों के आरोप लगते रहे हैं।
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