—वेब डेस्क
गत 10 अक्तूबर को रांची के धुर्वा में 'आदिवासी सरना विकास समिति' ने एक कार्यक्रम किया। इस अवसर पर ईसाई बन चुके तीन परिवारों के 14 सदस्यों की विधिवत घरवापसी कराई गई। ये लोग हैं सुनील उरांव, मुनी देवी, अमन उरांव, अनुष्का कुमारी, श्रीकांत उरांव, शीतल कुमारी, मंजू उरांव, गोपाल लोहरा, कलावती देवी, श्रवण लोहरा, जोसेप लोहरा, रिंकी देवी, आयुष लोहरा एवं आशा कुमारी। पहले इन सभी लोगों के पैर धोए गए, फिर अंग वस्त्र पहनाया गया, पूजा—पाठ किया गया। इसके बाद सभी लोगों से संकल्प कराया गया कि अब वे ईसाई मत छोड़कर पुन: सरना मत अपना रहे हैं। घरवापसी कराने वालों का शुद्धिकरण धुर्वा के कंचन पहान, विश्वकर्मा पाहन, बालेश्वर पहान, डहरु पाहन, परनो होरो, सुमानी पहनाइन एवं फूलमंती उरांव ने किया।
'आदिवासी सरना विकास समिति' के अध्यक्ष मेघा उरांव ने बताया कि जो लोग बहकावे में आकर अपने मूल धर्म को छोड़कर ईसाई बन गए थे, वे लोग बिना किसी दबाव के फिर से मूल धर्म में लौट रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा संविधान हर किसी को स्वेच्छा से किसी भी मत को स्वीकार करने का अधिकार देता है, लेकिन किसी के मत को गलत बताकर और बहला—फुसलाकर कन्वर्जन करना पाप के बराबर है। ऐसे लोगों को मूल धर्म में लाना आवश्यक है। घरवापसी करने वालों का स्वागत करते हुए 'केंद्रीय युवा चाला विकास समिति' के अध्यक्ष सोमा उरांव ने कहा कि 2004 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जो जनजाति अपनी परम्परा और संस्कृति को छोड़कर ईसाई बन गए हैं, वे जनजाति नहीं हो सकते हैं। इसलिए जनजाति समाज को इस पर विचार करना होगा। कार्यक्रम को पार्षद रोशनी खलखो ने भी संबोधित किया।
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