बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में बन रहे अंजुमन इस्लामिया के भवन के लिए 35 करोड़ रु. खर्च कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पैसे के अभाव में राज्य के कर्मचारियों को न तो समय पर वेतन मिल रहा है और न ही पेंशनधारियों को पेंशन मिल रही है। ऐसे में अगर कोई कह दे कि तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है, तो उसे तुरंत साम्प्रदायिक घोषित कर दिया जाता है।
—वेब डेस्क
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तुष्टीकरण की राजनीति करने में तनिक भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं। वे इस बात का भी ध्यान नहीं रख रहे हैं कि उनकी सरकार उस भाजपा के समर्थन से चल रही है, जो तुष्टीकरण की राजनीति का विरोध करती है। यही करण है कि भाजपा के कुछ विधायकों ने उनकी तुष्टीकरण की राजनीति का विरोध किया है। मामला पटना के राजपथ पर बन रहे अंजुमन इस्लामिया की इमारत से जुड़ा है। बता दें के गत दिनों नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि अंजुमन इस्लामिया की इमारत का पूरा खर्च बिहार सरकार उठाएगी। इस पर 35 करोड़ रु. खर्च होने वाला है। एक मजहबी संगठन की इमारत के लिए सरकारी पैसा खर्च करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इसके बावजूद नीतीश कुमार ने इसके लिए सरकारी खजाना खोल दिया है। उनके इस कदम के बाद भाजपा नेता और राज्य के मंत्री नीरज सिंह बबलू और विधायक हरिभूषण ठाकुर ने सरकार से बिहार में राम-कृष्ण भवन बनाने की मांग की है। इसके साथ ही विधायक हरिभूषण ने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के भवन की जर्जर स्थिति को लेकर भी कई तरह की बातें की हैं। नीरज सिंह बबलू ने कहा है, ''बिहार में श्रीराम, बुद्ध के नाम से भी भवन बनाए जाने चाहिए, जिससे इन समुदायों के लोगों को भी सुविधा मिल सके।''
जानकारी के अनुसार पटना के अशोक राज पथ स्थित अंजुमन इस्लामिया की पुरानी इमारत को तोड़कर बनाया जा रहा है। इस इमारत में निकाह से लेकर अन्य अनेक तरह के कार्यक्रम होते हैं। सालों भर यह भवन किराए पर चढ़ता है। इससे जो आमदनी होती है, उस पर अंजुमन इस्लामिया का अधिकार होता है। इसके बावजूद बिहार सरकार इस भवन को बनवा रही है। यही नहीं नीतीश कुमार ने यह भी कहा है कि इस तरह के भवन बिहार के अन्य भागों में भी बनाए जाएंगे। वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार पैसे के अभाव में अपने कर्मचारियों, राज्य के शिक्षकों को समय पर वेतन भी नहीं दे पा रही है। पेंशन के लिए तो लोगों को कई—कई महीने का इंतजार करना पड़ रहा है।
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