अमेरिका की इस पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने कहा है कि पाकिस्तान को दंड तो दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब उसमें देर कर दी गई है। 2001 के बाद से ही कोई भी अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान को अपने इलाके में तालिबान की हरकतों को रोकने में कामयाब नहीं रहा है
पाकिस्तान आतंकवाद को पोसने वाला है, अब यह बात दुनिया अच्छी तरह समझ चुकी है। विशेषज्ञ बताते रहे हैं कि इस्लामी मुल्क ने 'आतंकवाद के विरुद्ध' अभियान की आड़ में अमेरिका से अकूत पैसा बनाया और उस पैसे से आतंकी शिविरों को ही मजबूत किया है। अमेरिका में ट्रंप शासन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रहीं लीजा कर्टिस ने कहा है कि पाकिस्तान को दंड तो दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब उसमें देर कर दी गई है। ‘फोरेन अफेयर्स’ पत्रिका में लीजा ने अपने लेख में लिखा है कि 2001 के बाद से ही कोई भी अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान को अपने इलाके में तालिबान की हरकतों को रोकने में कामयाब नहीं रहा है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रहीं लीजा कर्टिस का कहना है कि अफगानिस्तान में आतंक के विरुद्ध कार्रवाई में अमेरिका को भारत से सहायता लेकर काम करना चाहिए। उनका कहना है कि अमेरिका को फिर से सोचना होगा कि पाकिस्तान पर किस हद तक भरोसा किया जा सकता है, उस पर निर्भर रहा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 सितंबर को अमेरिका जाकर राष्ट्रपति जो बाइडन से भेंट करेंगे। इस वार्ता से ठीक पहले आया लीजा का यह बयान कूटनीतिक गलियारों में बहुत गौर से देखा जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रहीं लीजा कर्टिस का कहना है कि अफगानिस्तान में आतंक के विरुद्ध कार्रवाई में अमेरिका को भारत से सहायता लेकर काम करना चाहिए। उनका कहना है कि अमेरिका को फिर से सोचना होगा कि पाकिस्तान पर किस हद तक भरोसा किया जा सकता है, उस पर निर्भर रहा जा सकता है।
लीजा कर्टिस मशहूर थिंक टेंक 'सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी' के अंतर्गत हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की निदेशक हैं। वे लिखती हैं कि हैरानी की बात है कि 2001 से अब तक अमेरिका का कोई भी प्रशासन पाकिस्तान पर उसके इलाके में तालिबान के खिलाफ सार्थक अभियान चलाने को लेकर जोर नहीं डाल पाया। वे लिखती हैं कि आईएसआईएस-के जैसे दूसरे आतंकी गुटों पर लक्ष्य साधते वक्त भले वाशिंगटन के लिए इस्लामाबाद के साथ काम करना संभव हो, लेकिन पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी अल कायदा से संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को निशाना बनाएगी ही नहीं। कारण, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई नहीं चाहती कि भारत अफगानिस्तान में पैर जमाए। इस काम में वह हक्कानी नेटवर्क के कंधों पर सवार है। हालांकि तालिबान यह भी कहता है कि अफगानिस्तान में न अलकायदा और न ही आईएस के आतंकवादी। उसने ऐसे आरोपों से इंकार ही किया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि तालिबान का यह बयान तब आया है, जब आईएस ने जलालाबाद में हुए धमाकों की जिम्मेदारी ले ली है। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद का कहना है कि 'आईएस सामने आए बिना कुछ कायराना हमले करता है। ये इराक और सीरिया में मौजूद है। लेकिन अफगानिस्तान में इन संगठनों के सक्रिय होने का कोई सबूत ही नहीं है।
लीजा कर्टिस का लेख साफतौर पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करता है और अमेरिकी प्रशासन को सावधान करता है कि वह पाकिस्तान के संदर्भ में फूंक—फूंक कर कदम रखे। पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। लीजा की यह बात इस मायने में सच है कि दुनिया में पाकिस्तान की असलियत उजागर हो चुकी है और वह तालिबान को कंधे पर बैठाकर आतंक का समर्थक सिद्ध हो चुका है।
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