योगेश जाटव हिंदू थे, इसलिए उनकी हत्या पर सेकुलर जमात चुप है। यदि योगेश मुसलमान होते तो इन दिनों फिर से एक बार यह कहा जाता, ''देश में असहिष्णुता बढ़ गई है, मुसलमानों की हत्या हो रही है।''
राजस्थान के अलवर में योगेश जाटव को मुसलमानों की भीड़ ने इस तरह पीटा कि वे घटनास्थल पर ही अचेत हो गए और 19 सितंबर को जयपुर के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई। लेकिन इस घटना पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने वैसी सक्रियता नहीं दिखाई, जैसी उसने पहलू खान के मामले में दिखाई थी। बता दें कि पहलू खान की हत्या का आरोप कुछ हिंदुओं पर लगा था। उस मामले को लेकर राज्स्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी काफी हंगामा मचाया था। यही नहीं, देश के अन्य सेकुलर नेताओं ने भी पहलू खान के मामले को इस तरह उठाया था कि मानो देश में मुसलमानों के साथ घोर अन्याय हो रहा है, उन्हें मारा जा रहा है। लेकिन इस बार मरने वाला हिंदू है और मारने वाले मुसलमान हैं, इसलिए सेकुलर जमात ऐसे चुप है, मानो कुछ हुआ ही नहीं है।
योगेश जाटव की मौत पर गुस्साए हिंदुओं ने 19 सितंबर को अलवर-भरतपुर रोड को शव रखकर जाम कर दिया। हिंदुओं ने पीड़ित परिवार के लिए 50,00,000 रु. मुआवजे की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि योगेश की पिटाई 15 सितंबर को की गई थी। वे भटपुरा गांव के रहने वाले थे। कहा जा रहा है कि 15 सितंबर को योगेश मोटरसाइकिल से अपने गांव की ओर जा रहे थे, तभी उनकी मोटरसाइकिल 10 साल की एक बच्ची से टकरा गई। इसके बाद वहां मुसलमानों की भीड़ जमा हो गई और उन लोगों ने योगेश की पिटाई शुरू कर दी। इसकी जानकारी घर वालों को हुई तो उन्होंने उन्हें अलवर के एक अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उनकी स्थिति नहीं संभली तो जयपुर भेज दिया गया, लेकिन वहां भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
योगेश के पिता ओमप्रकाश ने रशीद, साजेत पठान, मुबीना सहित छह लोगों के विरुद्ध 17 सितंबर को मामला दर्ज कराया था। इसमें कहा गया है कि योगेश को लाठी-डंडों से इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उने कान से खून आने लगा। योगेश की मौत के बाद परिजनों ने हत्या का मामला दर्ज करवाया। इसके बाद पुलिस ने पहले से दर्ज मारपीट के मामले में हत्या की धारा 302 और एस—एसटी कानून की धाराएं भी जोड़ दी हैं।
योगेश के घर वालों का आरोप है कि बड़ौदा मेव थाने के एएसआई इलियास आरोपितों से मिलीभगत कर उन्हें बचाने में जुटा हुआ है। इसलिए इलियास और बड़ौदा मेव के थानाध्यक्ष को निलंबित किया जाए। इस मामले पर राजस्थान भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि एक ओर तो राजस्थान सरकार मॉब लिचिंग के विरुद्ध कानून बनाती है, वहीं दूसरी ओर उसके आरोपियों को बचाने का काम करती है।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने बिना जांच के यह कहना शुरू कर दिया था कि योगेश ने हेलमेट नहीं पहना था, इसलिए गिरने से उनकी मौत हो गई। परिजनों को कहना है कि ऐसा आरोपियों को बचाने के लिए बोला जा रहा था। पर वहां मौजूद लोगों ने पुलिस की इस बात को नकार दिया। अब सवाल उठता है कि पुलिस यह बात किसके इशारे पर और क्यों बोल रही है!
इसका मतलब साफ है कि सरकार के अंदर कोई है, जो इन हत्यारों को बचाना चाह रहा है।
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