उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेशों के बाद से मेरठ के सोतीगंज के कबाड़ियों की मुसीबतें शुरू हो गयी हैं। ये वे कबाड़ी हैं, जो चोरी की कार, मोटर बाइक, ट्रक खरीदकर उन्हें काट कर कबाड़ में बेचते हैं। कहा जाता है कि ये एशिया का सबसे बड़ा कार चोर बाजार है और पुलिस की मिलीभगत से संचालित होता आ रहा था
मेरठ का सोतीगंज इलाका इन दिनों सुर्खियों में है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेशों के बाद से सोतीगंज के कबाड़ियों की मुसीबतें शुरू हो गयी हैं। ये वे कबाड़ी हैं, जो चोरी की कार, मोटर बाइक, ट्रक खरीदकर उन्हें काट कर कबाड़ में बेचते हैं। कहा जाता है कि ये एशिया का सबसे बड़ा कार चोर बाजार है और पुलिस की मिलीभगत से संचालित होता आ रहा था।
दिल्ली, राजस्थान, यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड से कोई भी कार, ट्रक, बाइक चोरी होती है तो वह मेरठ के सोतीगंज कबाड़ी बाजार में कटकर बिक जाती है। वाहन चोरों के गैंग से लेकर कबाड़ी और उनके यहां काम करने वाले मिस्त्रियों सहित करीब 5 हज़ार युवक अलग—अलग इस अपराध में लिप्त हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले 30 सालों से ये चोर बाजार का धंधा पुलिस के संरक्षण में पनपा। एक जानकारी के मुताबिक हर महीने सौ से डेढ़ सौ चोरी के वाहन यहां कटकर कलपुर्जों की शक्ल में तब्दील हो जाते हैं। यहां ऐसे मिस्त्री और औजार हैं कि नई से नई लग्जरी कार को काटने में मुश्किल से 15 मिनट का समय लगता है।
वाहन चोरी के इस बाजार को बन्द करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ के एसएसपी प्रभाकर चौधरी को कड़े निर्देश दिए हैं। कुछ समय पहले भाजपा के स्थानीय नेताओं ने मुख्यमंत्री को ये जानकारी दी थी कि सोतीगंज की वजह से मेरठ बदनाम हो रहा है और यहां के मुस्लिम युवक अपराधों में लिप्त हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस ने सोतीगंज के कबाड़ियों पर शिकंजा कसना शुरू किया। पुलिस ने इसके लिए आयकर, राज्यकर परिवहन विभाग की भी मदद ली और चोरी के वाहन खरीदने वालों की धरपकड़ शुरू की। उनके गोदामों में छापे मारे गए। एसएसपी प्रभाकर ने पुलिस टीम के स्पेशल 75 दस्ते तैयार किये, जिन्हें पहले प्रशिक्षत किया गया है। पुलिस सूत्रों की माने तो सोतीगंज में कबाड़ियों की करीब 800 दुकाने हैं, जिसमें से करीब 112 दुकान में चोरी के वाहनों को खरीद कर काटकर बेचने का धंधा होता है। पुलिस ने इनके मालिकों की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। इनके आगे करीब साढ़े तीन सौ कॉन्ट्रेक्टर हैं और उनके आगे वाहन चोरों के गैंग। यानी पूरा एक गठजोड़ इस काले धंधे में लिप्त है। जानकारी के मुताबिक वाहन चोर यहां 20-20 लाख की गाड़ी एक लाख रु में बेच जाते हैं और कबाड़ी उसके चेसिस नम्बर बदलकर फिर से दिल्ली के बाजार में कोई पुराना नम्बर डाल कर औने—पौने दाम पर बेच आते हैं। कुछ कबाड़ी गाड़ी को काटकर उसके कलपुर्जों को बेचने का धन्धा करते हैं। हर वाहन का ओरिजनल पार्ट सोतीगंज कबाड़ी बाज़ार में आसानी से मिल जाता है।
पुलिस ने छापेमारी के बाद चोरी के वाहन खरीदकर काटने वाले बड़े कबाड़ियों की पहचान की और सबूत जुटा कर मुईनुद्दीन, शोएब, हाजी गल्ला, गटटू, काला, हाजी नईम को अपने शिकंजे में लिया। पुलिस का घेरा कसते ही अधिकतर गाड़ी चोर माफिया भूमिगत हो गए। पुलिस ने नईम और मुइनुद्दीन की आलीशान संपत्तियों को कुर्क कर लिया है और इन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमे भी दर्ज हो गए हैं।
जानकारी के मुताबिक पुलिस की सख्ती के बाद से वाहन चोरी की वारदातों में कमी आयी है। लेकिन ये भी खबर है कि सोतीगंज में पुलिस की सख्ती के बाद अब चोरी की कार, बाईक और ट्रकों को काटने का कालाधंधा यहां से शिफ्ट होकर गाजियाबाद, मुज्जफरनगर, दिल्ली और रुड़की में इन कबाड़ियों के नए गोदामों में होने लगा है।
बता दें कि पिछले 30 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि वाहन चोर बाजार या कबाड़ियों के यहां पुलिस ने छापा डाला है। नहीं तो ये धंधा खुद पुलिस के संरक्षण में ही पनपा और आज करोड़ों का काला धंधा बन गया। एसएसपी प्रभाकर चौधरी कहते हैं कि यह बहुत बड़ा गठजोड़ है, जिसमें पांच हजार से भी ज्यादा अपराधी युवक जुड़े हुए हैं। पुलिस इन सभी की हिस्ट्रीशीट खंगाल कर उन्हें गैंगस्टर में निरुद्ध कर रही है।
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