—रितेश कश्यप
हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद झारखंड में ईसाइयों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे लोग कन्वर्जन के लिए तैयार न होने वालों के साथ मारपीट भी करने लगे हैं। रामगढ़ की एक ऐसी ही घटना से लोग हैरान हैं। लोगों में ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
झारखंड के रामगढ़ में सोनू राम नामक एक व्यक्ति को मारपीट कर घर से इसलिए बाहर कर दिया गया है कि उन्होंने ईसाई मत स्वीकार करने से मना कर दिया था। बताया जा रहा है कि सोनू का छोटा भाई आभास कुमार 'पंकज' 10 साल पहले ईसाई बना था। अब वह दूसरे ईसाइयों के साथ परिवार के अन्य लोगों पर ईसाई बनने का दबाव डाल रहा है। इसी दबाव के कारण उसकी मां भी ईसाई बन चुकी है। लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी आभास अपने पिता को ईसाई नहीं बना सका। बेटे की इस हरकत से पिता को बड़ा दु:ख हुआ। इसके बाद वे बीमार हुए और पिछले दिनों इस दुनिया से ही चले गए।
यह घटना है रामगढ़ के अरगड्डा की। यहां के रहने वाले सोनू राम रंगाई—पुताई का काम करते हैं। चार भाई—बहनों में सोनू सबसे बड़े हैं। अभी अविवाहित हैं। जो कमाते हैं, वह परिवार के अन्य लोगों के लिए ही खर्च करते हैं। अब वे बेघर कर दिए गए हैं। बेघर भी उनके छोटे भाई आभास कुमार ने किया है। ईसाई बन चुका आभास पूरी तरह ईसाई मिशनरी के लिए काम करने लगा है। अब प्रतिदिन उसके साथ ईसाई मिशनरी के लोग घर पर आते हैं और प्रार्थना सभा करते हैं। जब सोनू ने इसका विरोध किया तो आभास के साथ उसके ईसाई साथियों ने उन पर हमला कर दिया। सोनू ने कई दिनों तक उनका मुकाबला किया, लेकिन उनकी संख्या अधिक होने के कारण वे उनके सामने टिक नहीं सके। अब वे दर—दर भटक रहे हैं। सोनू के अनुसार, ''जब भी मेरे घर प्रार्थना सभा होती थी, वे लोग हिंदू धर्म ग्रंथों और देवी-देवताओं को गाली देते थे। इन सबका विरोध करने पर उन लोगों ने मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी। वे लोग लंबे समय तक मेरे साथ ऐसा ही करते रहे। इसके बाद मैंने पुलिस से लिखित शिकायत की। उन दिनों रामगढ़ के थाना प्रभारी गोपीनाथ तिवारी थे। उन्होंने मेरे घर आकर उन लोगों को समझाया और धमकाया भी। इसके बाद कुछ दिनों तक वे लोग ठीक रहे। तिवारी जी का स्थानान्तरण होने के बाद वे लोग फिर से मेरे साथ मारपीट करने लगे थे। इस कारण घर छोड़ना पड़ा है।''
सोनू ने एक बार फिर से 14 सितंबर को रामगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई है। सोनू ने लिखा है कि उसका छोटा भाई आभास कुमार उस पर निरंतर ईसाई बनने के लिए दबाव डाल रहा है। विरोध करने पर मारपीट करता है। इस मारपीट में उसके बड़े चाचा नंदलाल राम, महादेव राम, चचेरा भाई अरविंद कुमार 'पंकज' और पारस कुमार 'पंकज' भी साथ हैं। सोनू राम ने बताया, ''चार-पांच दिन पहले मेरे पिता जुगल राम का निधन हो गया था, लेकिन इसकी जानकारी भी मुझे नहीं दी गई।'' सोनू ने यह भी बताया कि छोटा भाई पिता के मृत शरीर का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दे रहा था। वह ईसाई रीति—रिवाज से शव को दफनाना चाहता था, लेकिन निकट के सगे—संबंधियों ने जबरन उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इस कारण छोटा भाई श्मशान घाट भी नहीं गया।''
सोनू ने यह भी बताया कि मंझले भाई पर भी ईसाई बनने का दबाव डाला जाता है। इस कारण वह मुम्बई चला गया और वह वहीं मजदूरी करता है। सोनू का कहना है कि यदि समाज और पुलिस ने मेरा साथ नहीं दिया तो मेरे साथ वे लोग कुछ भी कर सकते हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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