अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क में समीकरण नहीं बैठ पा रहे हैं। अंतरिम सरकार बने अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है कि आपस में सिर फुटौव्वल की नौबत आन पहुंची है
जैसी कि बहुत समय से आशंका जताई जा रही थी, तालिबान की अंतरिम सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। पाकिस्तान की जरूरतसे ज्यादा दखल का नतीजा हक्कानी और मुल्ला बरादर में बड़ी दरार के रूप में सामने आया है। ताजा समाखर है कि हक्कानी नेटवर्क के एक बड़े वाले कट्टर नेता से मुल्ला बरादर की ऐसी तू तू—मैं मैं हुई है कि बरादर को काबुल छोड़कर कंधार जाना पड़ा है। तालिबान के सूत्र बताते हैं कि काबुल में बरादर को जान का खतरा महसूस हो रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क में समीकरण नहीं बैठ पा रहे हैं। अंतरिम सरकार बने अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है कि आपस में सिर फुटौव्वल की नौबत आन पहुंची है। तालिबान सरकार में तथाकथित उपप्रधानमंत्री बने मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी नेटवर्क के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। गत सप्ताह राष्ट्रपति महल में बरादर और कट्टर हक्कानी नेता खलीलुर्रहमान हक्कानी के बीच जबरदस्त बहस छिड़ी थी। फिर दोनों नेताओं के पिछलग्गू छुटभैये लड़ाके आपस में टकराए। खलीलुर्र्रहमान तालिबान 'सरकार' में शरणार्थी मामलों का मंत्री है।
एक कथित बड़े तालिबान नेता ने एक चैनल को बताया है कि काबुल में राष्ट्रपति के दफ्तर में कैबिनेट को लेकर उक्त दोनों कट्टर नेताओं के बीच जमकर कहासुनी हुई। मुल्क पर बंदूक के बल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही उनके धड़ों में नेता और कारिंदों को लेकर जबरदस्त तकरार छिड़ी है।
कुछ दिनों से बरादर सबके सामने नहीं आया था। इससे अफवाह उड़ी कि वह गोलीबारी में जख्मी हो गया है। सोशल मीडिया पर उसकी मौत के समाचार आने लगे। सूत्रों के हवाले से एक विदेशी चैनल का कहना है कि बरादर काबुल छोड़ कंधार चला गया है।
तालिबान लड़ाकों का एक धड़ा सरकार में हक्कानी नेटवर्क को इतनी प्रमुखता देने के विरुद्ध रहा है। जबकि हक्कानी नेटवर्क के हत्यारे खुद को तालिबान की सबसे ज्यादा कट्टर लड़ाके मानते हैं। बरादर के समर्थक कहते हैं कि ये उनकी ही कूटनीति थी जिसकी वजह से तालिबान पर कब्जा हुआ है, उधर हक्कानी वाले कहते हैं, अफगानिस्तान में जीत उनकी बंदूकों ने दिलाई है। हक्कानी नेटवर्क की पाकिस्तान से करीबी के बारे में दुनिया जानती है। इसलिए इस प्रकरण में पाकिस्तान के साजिशी कूटनीतिकारों के हाथ से इंकार नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि गत कुछ दिनों से बरादर सबके सामने नहीं आया था। इससे अफवाह उड़ी कि वह गोलीबारी में जख्मी हो गया है। सोशल मीडिया पर उसकी मौत के समाचार आने लगे। सूत्रों के हवाले से एक विदेशी चैनल का कहना है कि बरादर काबुल छोड़ कंधार चला गया है। एक रपट में यह भी पढ़ने में आया है कि बरादर को काबुल में जान का खतरा था।
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