आज भारत की अभियांत्रिकी का लोहा दुनिया मान रही है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल बन रहा है। दुनिया की सबसे लंबी सड़क सुरंग (अटल सुरंग) से चीन परेशान है। अमदाबाद में विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम शान से खड़ा है। इसी तरह भारत का सबसे लंबा सड़क पुल पूर्वोत्तर भारत में आवागमन को सुगम बना रहा है
इन दिनों पूरी दुनिया में भारत की अभियांत्रिकी की चर्चा है। हो भी क्यों नहीं। भारत के अभियंताओं ने बता दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं। हमारे अभियंता जम्मू-कश्मीर में विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल बना रहे हैं। इससे पहले गुजरात के केवडिया में लौह पुरुष सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई गई थी। असम में लोहित नदी पर बना भूपेन हजारिका सेतु भारत का सबसे लंबा पुल है। इसे भी भारतीय अभियांत्रिकी का कमाल कहा जाता है। विश्व की सबसे लंबी ‘अटल सुरंग’ की तो दुनिया में मिसाल दी जाती है। सामरिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण इस सुरंग के बन जाने से मनाली और लाहौल स्पीति हर मौसम में एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। आइए जानते हैं, अभियंता दिवस पर भारत के अभियंताओं के कुछ उल्लेखनीय कार्य।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल
कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ने के लिए चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल (359 मीटर) का तेजी से निर्माण चल रहा है। इस समय सबसे ऊंचा रेल पुल चीन में बेइपन नदी पर स्थित है, जिसे शुईबाई रेल पुल (275 मीटर ऊंचा) के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार चिनाब नदी पर बन रहे पुल का 90 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। भारत सरकार इस पुल के निर्माण को लेकर कितनी सजग है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सीधे निर्माण कार्य की निगरानी कर रहा है। इसलिए कहा जा रहा है कि दिसंबर, 2021 तक इस पुल से रेलगाड़ी गुजरने लगेगी। यह पुल 40 किग्रा टीएनटी (विस्फोटक) के धमाकों और रिक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता रखता है। यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल संपर्क परियोजना का भाग है। इस पुल का निर्माण 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय शुरू हुआ था। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए 2008 में इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी। दो वर्ष बाद 2010 में फिर से इसका कार्य शुरू हुआ, लेकिन गति बहुत धीमी थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस पुल के कार्य को गति दी गई।
यह पुल 1.315 किमी लंबा है और 260 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवा को सह सकता है। यह पुल बारामुला को उधमपुर-कटरा-काजीगुंड के रास्ते जम्मू से जोड़ेगा। इससे यात्रा में लगने वाला समय घटकर साढ़े छह घंटे हो जाएगा जो वर्तमान में दुगुना है।
दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम
इस साल के प्रारंभ में राष्टÑपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात के अमदाबाद में विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम (नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम) का उद्घाटन किया। 63 एकड़ में फैले इस स्टेडियम में 1,10,000 दर्शक बैठ सकते हैं। इससे पहले मेलबॉर्न (आॅस्ट्रेलिया) का क्रिकेट स्टेडियम विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम था, जहां 90,000 दर्शक एक साथ बैठ सकते हैं। नरेंद्र मोदी स्टेडियम 800 करोड़ रुपए में तैयार हुआ है। स्टेडियम में 11 पिच हैं। इनमें से छह लाल और पांच काली मिट्टी की हैं। यह दुनिया का पहला स्टेडियम है, जहां की पिचों का इस्तेमाल क्रिकेट मैच खेलने और अभ्यास के लिए भी हो सकता है। विशेष बात यह है कि वर्षा रुकने के केवल 30 मिनट बाद ही यहां की पिचों पर खेल खेला जा सकता है।
यह स्टेडियम ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल स्पोटर््स एन्कलेव’ का भाग है। यह एन्कलेव अभी बन रहा है। इसके बनने के बाद यहां खिलाड़ियों को अनेक तरह के खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि खेलों की दुनिया में भारत की दमदार उपस्थिति दर्ज हो सके।
सरदार पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा
गुजरात के केवडिया में सरदार पटेल की 182 फीट ऊंची प्रतिमा है। इतनी ऊंचाई वाली प्रतिमा दुनिया में और कोई दूसरी नहीं है। अब यहां और अनेक दर्शनीय स्थल तैयार हो गए हैं। 2018 में सरदार पटेल जयंती (31 अक्तूबर) पर प्रधानमंत्री ने इस प्रतिमा को देश को समर्पित किया था। एक आंकड़े के अनुसार 1 नवंबर, 2018 से 17 मार्च, 2020 तक इस प्रतिमा को देखने के लिए देश और विदेश से 43,00,000 पर्यटक आए। इससे सरकार को लगभग 120 करोड़ रु. की आय हुई। आय के मामले में इस प्रतिमा ने एक साल के अंदर ही ताजमहल को पीछे छोड़ दिया। 2018-2019 में इस प्रतिमा की वार्षिक आय 63.69 करोड़ रु. थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2017-18 की रपट के अनुसार ताजमहल की वार्षिक आय 56.83 करोड़ रु. थी। अब केवडिया और अमदाबाद के बीच जल विमान सेवा भी शुरू हो गई है।
भारत का सबसे लंबा सेतु
असम में लोहित नदी पर बना भूपेन हजारिका सेतु (ढोला-सदिया पुल) भारत का सबसे लंबा पुल है। इसकी लंबाई 9.15 किलोमीटर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2017 को इसका उद्घाटन किया था। यह पुल लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र की एक उपनदी है। इसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला में तो दूसरा छोर असम के तिनसुकिया जिले के सदिया में है। इस पुल के बनने से अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच आवागमन के समय में चार घंटे की कमी आई है। 2,056 करोड़ रु. की लागत से बने इस पुल से सेना की आवाजाही भी सरल हो गई है। इस पुल के जरिए सेना सीमावर्ती स्थानों तक अपनी टुकड़ियों को आसानी से पहुंचा सकती है। एक अनुमान है कि इस पुल के बनने से प्रतिदिन 1,00,000 रु. मूल्य के पेट्रोल और डीजल की बचत हो रही है।
विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग
9.02 किलोमीटर लंंबी अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इसका नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया गया है। इस सुरंग के कारण हिमाचल प्रदेश का मनाली हर मौसम में लाहौल स्पीति घाटी से जुड़ा रहता है। पहले सर्दियों में बर्फबारी के कारण यह हिस्सा भारत से कट जाता था। घोड़े की नाल के आकार की दो लेन वाली इस सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है। इसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे है। सुरंग में अग्निशमन, रोशनी और निगरानी की व्यापक व्यवस्था है।
विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल, ऊंचाई 359 मीटर
दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम, 1,10,000 दर्शक बैठ सकते हैभारत का सबसे लंबा सेतु, लंबाई 9.15 किमी
पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा
अटल सुरंग : दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (लंबाई 9.02 किमी)
आपात स्थिति में बातचीत करने के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन, हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र और प्रत्येक 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। वाजपेयी सरकार ने 3 जून, 2000 को सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण इस सुरंग को बनाने का निर्णय लिया था। 2004 में अटल सरकार के जाने के बाद इस परियोजना की गति बहुत ही धीमी हो गई थी। मोदी सरकार के आने के बाद इसके काम में तेजी आई। मोदी सरकार ने दिसंबर, 2019 में इसका नाम अटल सुरंग रखा। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाई गई इस सुरंग की लागत है 3200 करोड़ रुपए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्तूबर, 2020 को इस सुरंग का उद्घाटन किया था।
आधुनिक भारत के रचनाकार
प्रसिद्ध अभियंता भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन 15 सितंबर को पड़ता है। अभियांत्रिकी में उनके योगदान को देखते हुए ही उनके जन्म दिवस को अभियंता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया। विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर, 1860 को मैसूर रियासत में हुआ था। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने अनेक अद्भुत कार्य किए। उन्होंने 1903 में पुणे के खडगवासला जलाशय पर बांध बनवाया। इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाव को झेल सकते थे। इसके बाद उन्होंने देशभर में अनेक बांध बनवाए। उनके इन कार्यों को देखते हुए ही उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।
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