15 वर्ष की उम्र में एक दुर्घटना में दृष्टि चली गई, परंतु आगरा की हिमानी बुंदेला ने हौसला नहीं खोया और जिंदगी जीने का नजरिया बदला। हमेशा कुछ नया करना और उससे प्राप्त खुशी में मगन रहना। गत 31 अगस्त को कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में एक करोड़ रुपये जीतकर उन्होंने यह बता दिया कि उड़ान पंखों से नहीं, हौसले से भरी जाती है। दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पहले अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। फिर प्राथमिक केन्द्रीय विद्यालय, आगरा में शिक्षिका बनीं और अब केबीसी में एक करोड़ रुपये जीतने के बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई है। दृष्टि चले जाने से हिमानी कुछ और तो नहीं देख पाई, देखी तो केवल कामयाबी। चंद दिन पहले तक जिन्हें अपने शहर आगरा में भी गिने-चुने लोग जानते थे, आज वे देशभर में मशहूर हो गई हैं। उनसे प्रदीप सरदाना ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश-
करोड़पति बनने पर आपको बहुत-बहुत बधाई। आपने हंसते-खेलते और जिस बेबाकी से केबीसी में सवालों के जवाब दिये, उससे सभी इतने खुश हैं कि लग रहा है, जैसे आपने ओलंपिक में रजत पदक जीत लिया हो। कैसा रहा यह अनुभव और इस सफलता का जश्न?
धन्यवाद, धन्यवाद। बहुत ही शानदार अनुभव रहा। मुझे केबीसी में जाकर एक पल के लिए भी नहीं लगा कि मैं दिव्यांग हूं। वहां सभी का जो सहयोग मिला, उससे ही मुझमें आत्मविश्वास आया और मैं आगे बढ़ पाई। अमिताभ बच्चन, जिन्हें हम शहंशाह कहते हैं, वे इतने विनम्र हैं कि उनकी आवाज ही एक नई ऊर्जा देती है। इधर जीतने पर तो जश्न लगातार जारी है। 31 अगस्त की रात को एपिसोड में जब मैंने एक करोड़ रु. जीते तो हमारी पूरी कॉलोनी में ढोल बज उठे। यह धमाल दो दिन तक चलता रहा। सबने जमकर डांस किया। हर कोई मेरे साथ डांस करना चाहता था। मुझे सेलेब्रिटी होने का एहसास हो रहा था। अगले दिन सुबह स्कूल गई तो बच्चे खुशी से पागल हो गए। हिमानी मैम, हिमानी मैम कह के चिल्लाने लगे। स्कूल से वापस आ रही थी तो सारे रास्ते भर लोग मुझे फूल भेंट करते रहे। मेरी गाड़ी पूरी तरह फूलों से भर गई।
सड़क दुर्घटना के समय जब आपकी दृष्टि चली गई, उसके बाद का दौर बेहद पीड़ादायक और निराशा वाला रहा होगा। क्या था वह हादसा?
मैं तब 15 साल की थी और अपनी साइकिल से सड़क पर जा रही थी। तभी मेरी बगल से गुजर रहे एक बाइक सवार ने अचानक मेरे सामने से बाइक को ऐसा घुमाया कि मैं वहां गिरने के साथ कुछ दूर तक घिसटती चली गई। वहां सड़क काफी टूटी हुई थी, जिससे कंकड़-पत्थर मेरे शरीर में धंसने के साथ आंखों में भी चले गए। मैं लहूलुहान हो चुकी थी। मेरी बाई आंख तो ग्लूकोमा के कारण पहले ही बेजान सी थी। लेकिन अब दाईं आंख में इतनी चोटें आर्इं कि मेरी चार बार सर्जरी हुई। लेकिन आंख ठीक होने की जगह, मुझे दिखना ही बंद हो गया। हम सभी बहुत दुखी हुए। मेरे परिवार वालों ने मुझे बहुत हिम्मत दी। इससे मैंने अपनी जिंदगी जीने का नजरिया बदला। मैं हमेशा कुछ नया करती रहती हूं, खुश रहती हूं। इससे मुझे कभी जिंदगी बोझ नहीं लगती। मुझे लगता है कि मैं वे सभी काम कर सकती हूं जो और लोग कर सकते हैं।
अब आप जब अच्छी-खासी प्रसिद्ध हो चुकी हैं, एक करोड़ रुपए भी जीत चुकी हैं तो अब क्या योजनाएं हैं?
टैक्स आदि कटने के बाद मुझे जो भी धनराशि मिलेगी, उसमें से कुछ तो मैं अपने और परिवार के भविष्य के लिए इस्तेमाल करना चाहूंगी। बाकी राशि से दिव्यांग लोगों के लिए काम करूंगी। मैं दिव्यांगों के लिए एक ऐसा कोचिंग केंद्र खोलना चाहती हूं, जहां उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा सके। फिर मेरे पास एक ऐसे बड़े जागरूक अभियान की योजना है, जिससे सभी की जिंदगी बदल सकती है। असल में दिव्यांगों के लिए बहुत कुछ करना चाहती हूं।
केंद्र या उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। पहले इस तरह के लोगों को विकलांग कहा जाता था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में ही ऐसे व्यक्तियों को सम्मान देने के लिए दिव्यांग कहकर संबोधित करने को कहा था। उनका मानना है कि दिव्यांगों के पास अतिरिक्त शक्ति होती है। इस पर आप क्या कहेंगी?
जी! मैं प्रधानमंत्री मोदी का दिल से सम्मान करती हूं। उन्होंने हम लोगों के लिए विकलांग की जगह दिव्यांग सम्बोधन देने का जो काम किया है, वह बहुत बड़ा काम है। निश्चय ही इससे काफी बदलाव आया है, सभी में आत्मविश्वास बढ़ा है। सभी लोगों को सम्मान मिला है। मोदी जी के आने पर दिव्यांगों के लिए और भी बहुत अच्छे काम हो रहे हैं। मुझे खास तौर से उनकी सुगम्य पुस्तकालय वाली योजना बहुत अच्छी लगी। इसने हमारी जिंदगी बहुत ही सहज हो गई है। यहां असंख्य पुस्तकें उपलब्ध हैं। हम कोई भी पुस्तक पढ़ सकते हैं, डाउनलोड कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी पुस्तकें निशुल्क उपलब्ध हैं। इसके अलावा एडिप योजना से भी जगह-जगह कैंप लगाकर दिव्यांगों को जिस तरह श्रवण यंत्र सहित विभिन्न यंत्र और रिक्शा आदि उपलब्ध कराये जा रहे हैं, वह काम भी बहुत अच्छा है। उत्तर प्रदेश सरकार में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बहुत अच्छे काम कर रहे हैं।
जब पहले आपके नेत्रों में ज्योति थी, उस समय मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तबकी उनकी कोई छवि आपके मन-मस्तिष्क में है क्या ?
जी! तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लेकिन तब मेरी राजनीति में इतनी दिलचस्पी नहीं थी। मैं स्कूल की पढ़ाई में ज्यादा व्यस्त रहती थी या फिर समय मिलने पर फिल्में देखती थी। इसलिए मोदी जी का चेहरा उतना तो याद नहीं, लेकिन इतनी धुंधली स्मृति जरूर है कि उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावी है।
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