हिमाचल प्रदेश सीमा से लगे जौनसार बावर क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों की घुसपैठ हो चुकी है। हिमाचल से रोहड़ू क्षेत्र से पादरी आकर सीमांत गांवों में कन्वर्जन के षड्यंत्र रच रहे हैं।
दिनेश मानसेरा
हिमाचल प्रदेश सीमा से लगे जौनसार बावर क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों की घुसपैठ हो चुकी है। हिमाचल से रोहड़ू क्षेत्र से पादरी आकर सीमांत गांवों में कन्वर्जन के षड्यंत्र रच रहे हैं। इस के साथ—साथ चकराता कस्बे में भी जौनसारी लोगों को ईसाई बनाकर जनजाति लोगों में कन्वर्जन किया जा रहा है।
खबरों के मुताबिक हिमाचल के रोहड़ू क्षेत्र में स्थापित चर्च के चोगेधारी उत्तराखंड की तरफ सक्रिय हो गए हैं। रोहड़ू के चर्च शिमला चर्च के अधीन चलते हैं। वहां से आये पादरियों ने कलीच, मुटाणु, गोकुल, माकुड़ी, पावली, डंगोली, मकवाड़, थूनारा गांवों को अपने कन्वर्जन अभियान का केंद्र बनाया है। जौनसारी वह इलाका है, जहां पिछड़ी, अनुसूचित जनजाति कोल्टा ज्यादा रहती हैं। यहां 40 परिवारों के ईसाई बन जाने की सूचना है।
जानकारी के मुताबिक कलीच के ग्राम प्रधान रहे जगमोहन सिंह रावत द्वारा ईसाई मिशनरियों की सभाओं का विरोध भी किया गया। इस मामले में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई। बाद में इस विवाद में तहसील मोरो के पुलिस थाना में 16 लोगों के खिलाफ दफा 323, 147, 296-298 के मामले भी दर्ज किए गए।
जौनसार बावर के इस इलाके में और टोंस नदी के पार हिमाचल में महासू देवता को घर—घर पूजा जाता है। इस मिशनरियों ने महासू देवता को महा, येशु जब बोला तो स्थानीय लोगों ने इन पादरियों को खदेड़ दिया। महासू देवता यहां के आराध्य हैं और कहा जाता है इनके बिना किसी घर में कोई सुख दुख के कार्य नहीं होते।
जौनसार बावर से लगी उत्तरकाशी की यमुना रवाई घाटी तक महासू देवता को पूजा जाता है।
चकराता विधानसभा क्षेत्र जौनसारी बावर जनजाति क्षेत्र यूपी के समय से घोषित है। मिशनरियों का कन्वर्जन का खेल इन्हीं क्षेत्रों में चलता है।
चकराता देहरादून जिले का पर्यटन स्थल है और कैंट एरिया है। 1866 में ब्रिटिश सेना की 55वीं रेजिमेंट ने यहां समर कैम्प छावनी बनाया। रेजिमेंट के तत्कालीन कर्नल ह्यूम ने यहां अधिकारियों, सैनिकों के लिए तीन चर्च स्थापित किये। आज़ादी के बाद ब्रिटिश सेना चली गयी और भारतीय सेना ने यहां अपनी छावनी बना ली और चर्चों को भी कैंट एरिया में होने की वजह से अपने नियंत्रण में ले लिया।
आज़ादी के बाद देहरादून में मिशनरियां फिर से सक्रिय हुई। सेना के संवेदनशील क्षेत्र में चर्चों पर अपना नियंत्रण लेने के लिए षड्यंत्र करने शुरू कर दिए। सेना ने हर बार इस पर रोक लगाई।
चर्च ने एक स्थानीय जौनसारी जनजाति के व्यक्ति सुंदर सिंह चौहान को प्रलोभन से पादरी बना कर एक चर्च में रख दिया है। हालांकि इस पर सेना के अधिकारियों को कड़ा एतराज है। चर्च मिशनरियों के लगातार प्रयास हो रहे हैं कि किसी भी तरह ये तीनों चर्च, सेना से उनके नियंत्रण में आ जाए।
चकराता के पत्रकार राजगुरु कहते हैं कि मिशनरियों के प्रयास लगातार चलते रहते हैं। किसी तरह से चर्च उनके नियंत्रण में आ जाये, किंतु ऐसा हो नही पा रहा। क्योंकि यहां का कैंट प्रशासन सख्त रुख अपनाए हुए है। रहा सवाल जौनसार बावर में मिशनरियों ने त्यूणी ह्मोल और आराकोट के गरीब पिछड़े लोगों को प्रलोभन दिया है, लेकिन स्थानीय लोग अब जागरूक हो गए हैं। वो इन्हें यहां सभा बैठक करने नहीं देते।
जौनसारी बावर क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बारीक नज़र रखी है। उनका कहना है कि जौनसारी बावर में मिशनरियां आ रही हैं। लोग इनका विरोध भी कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह ये है कि यहां के लोग अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूक रहे है। जिनमें एकता है।
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