पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ऑनर किलिंग मामलों के निपटारे के लिए 6 महीने की समयसीमा तय की है। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायाधीशों, पंजाब एवं हरियाणा की सरकारों तथा चंडीगढ़ प्रशासन को कई निर्देश भी जारी किए हैं। इनमें दैनिक आधार पर सुनवाई, गवाहों की पेशी तथा 60-90 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने मंगलवार को पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी सत्र न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऑनर किलिंग के मामलों को निर्दिष्ट अदालत, फास्ट ट्रैक अदालत या क्षेत्राधिकार अदालत को सौंपा जाए। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, इन अदालतों को 6 महीने के भीतर मामलों का शीघ्र निपटारा करना होगा। न्यायमूर्ति त्यागी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्देश लंबित मामलों पर भी लागू होगा।
अपने 30 पन्नों के फैसले में न्यायमूर्ति त्यागी ने पंजाब-हरियाणा सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन को निर्देश दिया कि वे एक माह के अंदर राज्य स्तर पर गृह सचिव, वित्त सचिव, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानूनी स्मरणकर्ता और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिव की समितियों को नियुक्त करने का निर्देश दिया। ये समितियां तीन महीने के भीतर सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के संबंध में सभी प्रासंगिक मुद्दों की जांच करेंगी। इसके बाद कार्यान्वयन के लिए नीति-आधारित कार्रवाई करने से पहले सरकारों और प्रशासन को सिफारिशों पर विचार करना होगा। समिति समय-समय पर अनुपालन की निगरानी भी करेगी।
पुलिस महानिदेशकों को प्रत्येक जिले में एक विशेष सेल बनाने, जानकारी एकत्र करने व इन्हें बनाए रखने तथा पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अदालत या जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के पास सुरक्षा के लिए आने वाले युगलों का डेटा बेस तैयार करने का भी निर्देश दिया है। इसके अलावा, 24 घंटे की हेल्पलाइन स्थापित करने या मौजूदा हेल्पलाइन को सुरक्षा याचिकाएं लेने और पंजीकृत करने में सक्षम बनाने और ऐसे युगलों को आवश्यक सहायता, सलाह या सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस अधिकारियों या अधिकारियों के साथ समन्वय करने का भी निर्देश दिया गया है।
उच्च न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेशों में आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों को अंतरजातीय विवाह, अंतरधार्मिक विवाह या ऑनर किलिंग के खिलाफ शिकायतों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने को कहा। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद संबंधित डीएसपी को एक साथ सूचना दी जाएगी जो यथासंभव 60 से 90 दिनों में जांच कर इसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि युगल या परिवार को सुरक्षा प्रदान करने और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए भी तत्काल कदम उठाए जाएं। इनका पालन नहीं करने पर इसे कदाचार मानते हुए सेवा नियमों के तहत उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।
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