आज के दौर में कुछ कथित लोग लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करते हैं. उनके लिए यह विवरण अत्यंत प्रासंगिक है. 21 फरवरी 1998- शनिवार की रात उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दिया था और रात में ही जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी.
रोमेश भंडारी, वर्ष 1996 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए थे. उस समय उन पर बार – बार यह आरोप लगा कि वे, तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के इशारे पर काम कर रहे थे. किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था सो , इसका फ़ायदा उठा कर रोमेश भंडारी ने कहा था कि “जो भी दल सरकार बनाना चाहता है. वह दो तिहाई विधायकों की सूची लाये और सरकार बनाये.” सबसे बड़े दल के तौर पर भाजपा लगातार मांग कर रही थी कि उसे विधानसभा में बहुमत साबित करने का अवसर प्रदान किया जाय.
भाजपा को जब समर्थन मिल गया तब रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को शपथ दिलाई. कुछ माह बीतने के बाद मुलायम सिंह यादव ने नरेश अग्रवाल से संपर्क किया. नरेश अग्रवाल ने समर्थन वापसी की घोषणा की. अब इसके बाद रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौक़ा दिए बिना ही उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया और रात में ही जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी.
आम तौर पर शनिवार और रविवार को अधिकतर मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में जाकर वहां की जनता से मिलते हैं. शनिवार (21 फरवरी 1998) को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केशरी नाथ त्रिपाठी एवं तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डा. नरेन्द्र कुमार सिंह गौर प्रयागराज पहुंच चुके थे. शनिवार की रात में ही याचिका ड्राफ्ट की गई. देर रात, याचिका सुनवाई के लिए प्रस्तुत की गई. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो न्यायमूर्तियों की बेंच गठित की. दोनों न्यायमूर्ति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय आये. रात में उच्च न्यायालय खोला गया और सुनवाई शुरू हुई. मुकदमे की बहस होते – होते भोर हो गई. कोर्ट ने कहा कि रविवार को सुबह 9 बजे से सुनवाई होगी. रविवार को दिन भर बहस चली. सोमवार को फाइनल बहस होने के बाद शाम को निर्णय आया.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जगदम्बिका पाल की नियुक्ति को असंवैधानिक ठहराया. यह भी कहा कि जगदम्बिका पाल पद धारित नहीं करेंगे. मतलब यह कि अपने नाम के आगे पूर्व मुख्यमंत्री नहीं लिख सकेंगे. उच्च न्यायालय ने कहा कि विधानसभा में कंपोजिट फ्लोर टेस्ट होगा. कल्याण सिंह के पक्ष में बहुमत साबित हुआ और वे फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापस लौट आये.
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