उत्तराखंड स्थित उधमसिंह नगर से सटे तराई के जंगल में एक हथिनी अपने बच्चे को ट्रेन से बचाने की कोशिश में कुर्बान हो गई
उत्तराखंड स्थित उधमसिंह नगर से सटे तराई के जंगल में एक हथिनी अपने बच्चे को ट्रेन से बचाने की कोशिश में कुर्बान हो गयी। दरअसल, तराई फॉरेस्ट से गुजरने वाली आगरा फोर्ट ट्रेन की टक्कर से दो गजराजों की एक साथ मौत के बाद गजराजों के झुंड ने कई घण्टों तक रेलवे ट्रैक पर उत्पात मचाया।
बता दें कि तराई फारेस्ट, एशियन एलिफेंट कॉरिडोर का हिस्सा है। जंगली गजराजों के विचरने का यह रास्ता नेपाल से भूटान सीमा तक जाता है जो कि शिवालिक की पहाड़ों की तलहटी है।गजराजों के बड़े—बड़े झुंड अपने परिवार के साथ इन जंगलों में आते—जाते रहते हैं। जंगल से गुजरने वाली और हरिद्वार के पास राजा जी टाइगर रिज़र्व दो ऐसे इलाके हैं, जहां से रेलवे ट्रैक है। गजराजों की जान जोखिम इन्हीं रेलवे ट्रैक पर रहती है। आगरा फोर्ट ट्रेन के गुजरने के दौरान एक शिशु गजराज रेलवे ट्रैक पर था। ट्रेन के आने पर उसे अपने साथ लाने के लिए उसकी मां उसकी तरफ दौड़ी। ट्रेन की स्पीड इतनी तेज थी कि वह दोनों इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे के बाद गजराजों ने इंजन और ट्रेन पर हमला बोल दिया। ट्रेन को उल्टी दिशा में दौड़ना पड़ा और करीब दस किमी दूर सिडकुल स्टेशन पर गाड़ी खड़ी करनी पड़ी।
हादसे की खबर पाते ही वन विभाग के अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो उनकी हिम्मत भी नहीं हुई कि वह गजराजों के पास तक जाएं। करीब चार घंटे के बाद फॉरेस्ट कर्मियों ने हवाई फायर और मशालें जलाकर गजराजों को दूर भगाया। इस दौरान चार अन्य ट्रेनों को भी रद्द करना पड़ा।
बाद में वन विभाग के कर्मचारियों ने पास में ही दो बड़े गड्ढे खोदकर क्रेन की मदद से इन गजराजों को दफना दिया। अंतिम संस्कार के दौरान भी गजराजों का झुंड करीब एक किमी दूर खड़ा रहा। ट्रेन के ड्राइवर के खिलाफ फॉरेस्ट के अधिकारियों ने अपने यहां मामला दर्ज कर लिया है।
गौरतलब है कि पिछले 15 साल में 12 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है। कई बार यह मांग भी की गई है कि रेलवे ट्रैक पर सोलर फेंसिंग की जाए और ट्रेन की रफ्तार धीमी रखी जाए। पर वन विभाग और रेलवे ने कुछ नहीं किया।
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