अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष की खबरों के बीच देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे 80 अफगानी सैन्य कैडेट अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ये कैडेट यहां से प्रशिक्षण लेकर अफगान नेशनल आर्मी में अधिकारी बनने वाले थे। अब इन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता है कि ये तालिबान के सैनिक बनेंगे या अफगान सेना के ?
दिनेश मानसेरा
अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष की खबरों के बीच देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे 80 अफगानी सैन्य कैडेट अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ये कैडेट यहां से प्रशिक्षण लेकर अफगान नेशनल आर्मी में अधिकारी बनने वाले थे। अब इन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता है कि ये तालिबान के सैनिक बनेंगे या अफगान सेना के ? क्योंकि जब वे भारत आये तो अफगानिस्तान आर्मी द्वारा चुनकर भेजे गए थे पर अब तालिबान का कब्जा है।
देहरादून की आईएमए में भारत और अफगान सरकार के बीच 2011 में हुए रक्षा समझौते के तहत 40 अफगानी कैडेट हर साल अफगान नेशनल आर्मी के प्री कमीशन का प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। इस समय दो वर्ष के लिए 80 कैडेट यहां ट्रेनिंग पर हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अफगानी सेना द्वारा तालिबान के आगे हथियार डाल देने के बाद इन कैडेट के भविष्य का क्या होगा ? भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून की प्रवक्ता हिमानी पंत का कहना है कि अफगानिस्तान से आए कैडेट की ट्रेनिंग का काम पूरा कराया जाएगा। अभी तक किसी भी कैडेट ने इस बारे में कोई पत्र, संस्थान को नहीं दिया है।
गौरतलब है कि भारतीय सैन्य अकादमी में कई पड़ोसी देशों—नेपाल, भूटान के कैडेट भी ट्रेनिग लेते रहे हैं। अफगानिस्तान के 40 कैडेट भी ह रसाल यहां से पास आउट होते हैं।
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