सुनील राय
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने चार आतंकियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार किये गए चार आतंकियों में से एक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जनपद का निवासी है, शेष तीनों कश्मीर के रहने वाले हैं. जम्मू – कश्मीर पुलिस ने खुलासा किया है कि ये चारों अयोध्या में आतंकी घटना करके दहशत फैलाना चाहते थे. इसके पूर्व वर्ष 2005 में भी अयोध्या पर हमले की साजिश रची गई थी. जिसे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया था.
वर्ष 2005 में अयोध्या में हो चुकी है मुठभेड़
गत शनिवार को जम्मू – कश्मीर पुलिस ने चार आतंकियों – इजहार खान उर्फ सोनू खान, तौसीफ अहमद शाह, जहांगीर अहमद भट एवं मुंतजिर मंजूर उर्फ सैफुल्ला – को गिरफ्तार किया. इजहार खान उत्तर प्रदेश के शामली जनपद का रहने वाला है. तौसीफ अहमद , शोपियां का निवासी है. जहांगीर अहमद एवं मुन्तजिर मंज़ूर,ये दोनों पुलवामा के रहने वाले हैं.
जम्मू – कश्मीर पुलिस के अनुसार, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद अयोध्या में आतंकी घटना की साजिश रच रहा था. आतंकी इजहार खान ,जैश कमांडर मुनाज़ीर के संपर्क में था. मुनाज़ीर ने इजहार से कहा था कि ड्रोन के जरिये हथियार गिराए जायेंगे. इज़हार को हथियारों को एकत्र करना था.इन हथियारों को एकत्र करके कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों तक पहुंचाया जाना था. ये आतंकी जम्मू- कश्मीर एवं देश के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर रेकी करने का भी षड्यंत्र रच रहे थे.
आतंकी कमांडर के कहने पर इजहार खान ने पानीपत ऑयल रिफाइनरी की रेकी की थी और उसका वीडियो बना कर पाकिस्तानी कमांडर को भेजा था. गिरफ्तार किये गए आतंकियों को अयोध्या की रेकी करने के लिए कहा गया था. मगर उससे पहले जम्मू – कश्मीर पुलिस ने इन आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया.
वर्ष 2005 में अयोध्या में हुई थी मुठभेड़
अयोध्या पर आतंकियों की नजर है. इसके इनपुट पहले भी मिलते रहे हैं. 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा ढह गया था. मगर यह बात आतंकियों को नागवार गुजरी थी और उन आतंकियों ने इसका बदला लेने का फैसला किया था. आतंकियों ने योजना बनाई थी कि श्रीराम जन्म भूमि पर बम विस्फोट करके मंदिर को क्षति पहुंचाई जायेगी. इस घटना को अंजाम देकर दंगा कराने की साजिश रची गई थी. 5 जुलाई वर्ष 2005 को 6 आतंकी मार्शल जीप से अयोध्या पहुंचे थे. विस्फोट करके जीप को उड़ा दिया. इस विस्फोट में एक फिदायीन वहीं पर मारा गया. वाहन में विस्फोट करने के साथ ही आतंकी मंदिर परिसर की तरफ बढ़ने लगे. विस्फोट की आवाज सुनते ही सी.आर.पी.एफ. और पी. ए. सी. के जवानों ने बड़ी ही तत्परता से उन पांचों आतंकियों को ढूंढ निकाला. आमने-सामने मुठभेड़ हुई जिसमें पांचों आतंकी और तीन सामान्य नागिरक मारे गए. उन पांचों आतंकियों के कब्जे से रायफल, चीन की बनी हुई पिस्टल, ग्रेनेड, राकेट लांचर एवं नोकिया मोबाइल फोन बरामद हुआ था. नोकिया फोन को सर्विलांस पर लगाया गया. संदिग्ध लोगों से पूछ-ताछ की गई. इस मामले में षड्यंत्र रचने वाले पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया. 14 साल बाद वर्ष 2019 में चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
कोर्ट ने कहा था – आतंकियों को सजा तो उसी समय मिल गई थी मगर षड्यंत्रकारियों को सजा मिलने में 14 साल लग गए
बताते दें कि अयोध्या जनपद के थाना राम जन्म भूमि में 11 वीं वाहिनी पी.ए.सी के दल नायक, कृष्ण चन्द्र सिंह ने घटना की एफ.आई.आर दर्ज कराई थी. एफ.आई.आर के मुताबिक़ “ सुबह करीब सवा नौ बजे सफ़ेद मार्शल जिसका नंबर UP- 42 T- 0618 था. राम मंदिर के थोड़ा पहले जहां जैन मंदिर स्थित है. वहां पर मार्शल आकर रूकी. इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता जोरदार धमाका हुआ. जीप के परखचे उड़ गए. बैरीकेडिंग भी तितर – बितर हो चुकी थी. इस हमले में एक फिदायीन मर चुका था.”
फैजाबाद जनपद न्यायालय में अभियोजन पक्ष ने आरोप पत्र दायर किया. 8 दिसंबर 2006 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मुकदमे को इलाहाबाद जनपद न्यायालय में भेजने का आदेश दिया. इसके बाद इन पांचों आतंकियों को प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में लाया गया. मुकदमे की पूरी सुनवाई नैनी सेन्ट्रल जेल के अन्दर बनी विशेष अदालत में की गई. इलाहाबाद जनपद न्यायालय के अपर जिला जज एवं अधिवक्तागण ने जेल के अन्दर जा कर मुकदमें की सुनवाई को पूरा किया. फैसला भी जेल के अन्दर बनी विशेष अदालत में सुनाया गया.
कोर्ट ने अपने फैसले में आसिफ उर्फ़ इकबाल को मुख्य साजिशकर्ता माना. दूसरे आतंकी ,डॉ इरफ़ान पर यह दोष सिद्ध हुआ कि उसने हमला करने आये पांचों आंतकियों को अपने यहां शरण दिया था. तीसरे आतंकी, मोहमद नसीम ने सिम कार्ड और ए.के-47 खरीदा था. चौथे आतंकी शकील ने वाहन मुहैया कराया था जिसमे असलहा ले जाया गया था. ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में मो. अज़ीज़ को बरी कर दिया था. अज़ीज़ पर आरोप था कि लश्कर – ए – तय्यबा का आतंकी उसके घर पर आता था.
ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में यह सफल रहा है कि आरोपियों को संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए. भगवान राम के मंदिर पर हमला करने वालों को सजा तो उसी समय मिल गई थी. मगर षड्यंत्र रचने वालों को सजा मिलने में 14 साल का समय लग गया.
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