आर. एल. फ्रांसिस
भारत के आंतरिक मामलों में वेटिकन का हस्तक्षेप बढ़ा है। भारत के कैथोलिक चर्च का पूरा संचालन वेटिकन और कैनन लॉ के दिशानिर्देशों के तहत हो रहा है। तमिलनाडु में मर्सी का बयान एक खतरनाक चलन की ओर संकेत
भारत में सेकुलर जमात के लोग किसी चीज में सच और झूठ की ज्यादा परवाह नहीं करते। तमिलनाडु में मर्सी सेंथिल कुमार की पादरियों को वेटिकन के सुरक्षा घेरे में लाने की मांग यही दर्शाती है कि चर्च से समर्थन पाने का लालच कितना प्रबल है। इसमें संदेह नहीं कि पिछले कुछ दशकों में भारत के आंतरिक मामलों में वेटिकन का हस्तक्षेप बढ़ा है, भारत के कैथोलिक चर्च का पूरा संचालन वेटिकन और कैनन लॉ के दिशानिर्देशों के तहत हो रहा है। वर्तमान में पोप ही भारत में बिशपों को नियुक्त करते हैं।
स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत को लेकर चर्च एक बड़ी रणनीति पर काम कर रहा है। स्वामी को ‘वनवासियों, दलितों और वंचितों का मसीहा’ घोषित किया जा रहा है, कहीं ‘शहीद’ तो कहीं वेटिकन से ‘संत’ घोषित कराने की कोशिश की जा रही है। हैरानी की बात है कि अब तो उसके लिए नोबेल पुरस्कार की भी मांग की जा रही है।
स्टेन स्वामी की असलियत
स्टेन स्वामी पर लगे आरोपों को देखें। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार जेसुइट पादरी स्टेन की जमानत याचिका को एनआईए की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि स्टेन स्वामी ने प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के साथ मिलकर देश में अशांति पैदा करने एवं सरकार को गिराने की साजिश रची थी। जांच एजेंसी ने दस्तावेजों का विश्लेषण किया और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि फादर स्टेन और उनका एनजीओ ‘बगैचा’ माओवादियों के हितों में सहयोग करता था, क्योंकि उनका एनजीओ विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन (वीवीजेवीए) के साथ संबंध रखता है, जो प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) का एक प्रकट संगठन है।
चर्च फादर स्टेन स्वामी पर लगे किसी भी आरोप का जवाब देने की जगह आक्रामक होने की नीति अपना रहा है। एक दशक पहले कंधमाल हिंसा पर भी उसका यही रवैया था। उस समय इटली सरकार का भारतीय राजदूत को धमकाना और भारत में पोप के राजदूत का कंधमाल हिंसा की जांच के लिए जाना भारतीय चर्च की आज जैसी आकमक रणनीति ही तो था।
चर्च के इशारे पर भारत विरोधी बयान
चर्च की ऐसी आक्रामक रणनीति को खाद-पानी अपने को सेकुलर कहने वाले राजनीतिक दलों से मिलता है। ताजा मामला तमिलनाडु का है। सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार में सहकारिता मंत्री परियासामी की पुत्रवधू मर्सी सेंथिल कुमार ने ऐसे कानून की जरूरत बताई है, जिसमें वेटिकन की मंजूरी के बाद ही किसी पादरी या नन को गिरफ्तार करने की इजाजत हो। मर्सी ने कहा कि ‘‘पादरी सब की सेवा करते हैं।’ हाल ही में तमिलनाडु में ही रोमन कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्नैया को प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, हिंदू धर्म और मातृभूमि के बारे में कथित रूप से अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार का चर्च के प्रति नरम रुख जगजाहिर है। राज्य सरकार ने विवादास्पद फादर ए. राज मारियासुसाई को तमिलनाडु लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्त करने का आदेश जारी किया है। फादर मारियासुसाई का अतीत बेहद विवादास्पद रहा है। उनके
कथित तौर पर शहरी नक्सलियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।
वरिष्ठ नौकरशाहों ने फादर मारियासुसाई की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है।
(लेखक पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट के अध्यक्ष हैं)
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