पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने देश में सत्ता और सेना की ऐसी कलई खोली है कि इमरान सरकार से सफाई देते नहीं बन रही है। हामिद का जियो न्यूज पर आने वाला चर्चित कार्यक्रम बंद कराया जा चुका है
अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते रहे पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने एक बार फिर पाकिस्तानी हुकूमत की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार लचर और प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान ‘लाचार’ हैं।
बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में हामिद ने कहा कि पाकिस्तान में मीडिया और मीडियाकर्मियां में दहशत बढ़ती जा रही है। नाम के लिए लोकतंत्र बचा है पाकिस्तान में। इसी तरह पाकिस्तान में संविधान तो है, लेकिन असल में कोई संविधान नहीं है।
पत्रकार हामिद मीर ने अपने इन तीखे शब्द बाणों से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की असलियत दुनिया के सामने उजागर की है। बाजवा की फौज को भी उन्होंने नहीं बख्शा। फौज पर की गई इस टिप्पणी के कारण हामिद पर अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी लगा दी गई है।
पाकिस्तान में पत्रकार डर के साए में जी रहे हैं। यहां लोकतंत्र तो है, लेकिन सिर्फ नाम का। ऐसे ही संविधान तो है, लेकिन सिर्फ नाम का, असल में यहां कोई संविधान नहीं है। हामिद ने कहा, पिछले प्रधानमंत्रियों की तरह वह एक दमदार प्रधानमंत्री नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि उस इस्लामी देश में खूब देखे जाने वाले जियो चैनल पर ‘कैपिटल शो’ नाम से हामिद मीर एक बातचीत का कार्यक्रम किया करते थे। लेकिन गत 28 मई को उनके कार्यक्रम में पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर हामिद ने खुलकर नाराजगी दिखाई तथा सेना और हुकूमत के विरुद्ध तीखी टिप्पणियां कीं। बता दें कि पाकिस्तान के ही पत्रकार असद अली तूर के साथ मारपीट हुई थी जिस पर हामिद ने गुस्सा दिखाया था। उन्होंने हमला बोलने वालों की गिरफ्तारी की मांग की थी और कहा था कि जो फौज पर कुछ बोलता है उसे जानबूझकर निशाना बनाया जाता है। बस इस बात पर 30 मई से उनका वह कार्यक्रम बंद करा दिया गया।
इसी साक्षात्कार में हामिद का कहना है कि पाकिस्तान में पत्रकार डर के साए में जी रहे हैं। यहां लोकतंत्र तो है, लेकिन सिर्फ नाम का। ऐसे ही संविधान तो है, लेकिन सिर्फ नाम का, असल में यहां कोई संविधान नहीं है। हामिद ये यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान उन्हें हटाना चाहते थे, हामिद ने कहा, ‘मेरे पर पाबंदी लगाने में सीधे—सीधे तो इमरान खान का हाथ नहीं है, पर ये तो लगता है कि वह उनका कार्यक्रम बंद कराना चाहते थे। पिछले प्रधानमंत्रियों की तरह वह एक दमदार प्रधानमंत्री नहीं हैं। वह खुद लाचार हैं, मेरी कोई मदद नहीं कर सकते।’
जब हामिद से पत्रकारों पर हमले के बारे में पूछा क्या कि क्या उन हमलों में खुफिया एजेंसियां का हाथ है, तो उन्होंने कहा, हां। हामिद ने कहा, ‘इसके पक्के सबूत हैं। खुफिया एजेंसियों पर ही पत्रकारों के अपहरण या हमलों के आरोप लगते रहे हैं।’ हालांकि इन्हीं हामिद मीर ने अभी जून में ही माफी मांगी थी और कहा था कि पाकिस्तान की फौज को बदनाम करने का उनका कोई उद्देश्य नहीं था।
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