दिनेश मानसेरा
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के परिवार को जातिसूचक शब्द कहे जाने के मामले में दो आरोपियों को जेल भेज दिया है। हालांकि इस मामले में पुलिस की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ये मामला पड़ोस के पुराने झगड़े का है।
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के परिवार को जातिसूचक शब्द कहे जाने के मामले में दो आरोपियों को जेल भेज दिया है। हालांकि इस मामले में पुलिस की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ये मामला पड़ोस के पुराने झगड़े का है।
हरिद्वार के सिडकुल थाना क्षेत्र में हॉकी खिलाड़ी वंदना के भाई चन्द्रशेखर कटारिया ने एक तहरीर में आरोप लगाया था कि भारतीय महिला हॉकी टीम के टोक्यो ओलम्पिक में हार के बाद पड़ोस के रहने वाले कुछ लोगों ने पटाखे छोड़े और उनके परिवार के लिए जातिसूचक शब्द कहे। इस मामले में पुलिस ने विजय पाल और अंकुर दोनों भाइयों को धारा 504/ धारा 3(1) में जेल भेज दिया, जबकि तीसरे सुमित चौहान को भी खोजा जा रहा है।
इस मामले में जब जांच पड़ताल की गई तो कुछ रोचक जानकारी सामने आई। हुआ यूं कि जब महिला हॉकी का सेमीफाइनल चल रहा था तो वंदना के घर के बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ था। मीडिया को लगा था कि यदि भारत मैच जीतेगा तो यहां जश्न होगा। पर सेमीफाइनल का परिणाम भारत के पक्ष में नही हुआ। लेकिन हॉकी प्रशंसकों में उत्साह चरम पर था। अब जो पटाखे साथ लेकर आये थे वे उन्हें जलाने लगे। जिसका शोर सुन कर वंदना के परिवारजन घर से बाहर निकल आये। इसी बीच पड़ोस में रहने वाले अंकुर पाल और विजय पाल भी घर से बाहर आ गये। विजय और अंकुर दोनों हॉकी के खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने पटाखे दगा रहे लोगों से हार पर ऐसा नहीं करने को कहा। जिस पर कटारिया परिवार और विजय पाल परिवार में झड़प हो गयी। इसी दौरान पटाखा दगा रहे सुमित चौहान भी इस मामले में दोनों पक्षों को शांत करवाने में जुटे तो वो भी निशाने पर आ गये।
दरअसल, विजय और अंकुर परिवार और कटारिया परिवार की आपस में कई सालों से नहीं बनती। मोहल्ले के झगड़े के कई गवाह मौजूद हैं। विजय पाल परिवार और कटारिया परिवार में आपसी रंजिश है। इस बात को वंदना के भाई चन्द्रशेखर अपने बयान में भी स्वीकार कर चुके हैं। वंदना के और भी भाई हैं और इन सभी ने स्वीकार किया कि दोनों परिवारों में ईर्ष्या का भाव रहता आया है। चूंकि इस बार वंदना ओलम्पिक खेल रही थीं, लिहाजा कटारिया परिवार का रुतबा भी मीडिया प्रशासन में ज्यादा हो गया।
मोहल्ले का झगड़ा, पटाखों की वजह से मीडिया में सुर्खियां इसलिए भी बटोर गया क्योंकि भारतीय महिला हॉकी की हार के बाद वहां मौजूद मीडिया के लिए कुछ भी खबर बनाने को था नहीं। लिहाजा पड़ोस के झगड़े की खबर राष्ट्रीय मीडिया में दलित और जाति अपमान में सुर्खियां बन गयी।
मुख्य धारा की मीडिया के एक वर्ग ने इस पर विशेष कार्यक्रम तक आयोजित किए। इन मीडिया हाउस ने पिछले कुछ समय से खिलाड़ियों के जाति पर विशेष तवज्जो देकर माहौल को राष्ट्रवाद से न जोड़ कर जाति—धर्म से जोड़ा। इस अभियान में कुछ यूट्यूबर पत्रकार और कुछ न्यूज़ पोर्टल भी पीछे नहीं रहे। इन सभी ने मिलकर वंदना कटारिया को एक मुद्दा बना कर सुर्खियां बटोरने का काम किया।
गौरतलब है कि इस मामले में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि दो आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और घटना की प्रत्यक्षदर्शियों के आधार पर जांच पड़ताल की जा रही है।कटारिया परिवार से पुलिस संपर्क में है। उनकी सुरक्षा हमारा दायित्व है।
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