सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त तेवर दिखाते हुए दो टूक कहा कि अरावली की वन भूमि से सारा अवैध निर्माण हटेगा। वह चाहे जिसका हो या जैसा हो।
सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त तेवर दिखाते हुए दो टूक कहा कि अरावली की वन भूमि से सारा अवैध निर्माण हटेगा। वह चाहे जिसका हो या जैसा हो। न्यायालय के सख्त रुख से सिर्फ खोरी गांव में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर घर बनाने वाले ही निशाने पर नहीं आए हैं, बल्कि वन क्षेत्र में आने वाले मैरिज हाउस और फार्म हाउसों पर भी ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है।
गौरतलब है कि फरीदाबाद स्थित खोरी गांव में वन भूमि पर अवैध निर्माण के मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान फरीदाबाद नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि पुनर्वास नीति का ड्राफ्ट तैयार करके मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है। इस पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द ड्राफ्ट पर निर्णय ले और अगली सुनवाई 25 अगस्त तक उस पर फैसला कर लिया जाए।
बेघर हुए लोगों के संबंध में कोर्ट ने मंगलवार को फिर साफ किया कि जो लोग पुनर्वास नीति के तहत हकदार होंगे उनका पुनर्वास होगा जैसा की नगर निगम ने भरोसा दिलाया है। लेकिन जो लोग नीति के तहत पुनर्वास के हकदार नहीं हैं, उनका पुनर्वास क्यों होना चाहिए। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 25 अगस्त तय करते हुए फरीदाबाद नगर निगम को आदेश दिया कि वह न्यायालय के पूर्व आदेश के मुताबिक 23 अगस्त तक वन भूमि से अवैध निर्माण हटाने का काम पूरा कर लें। उसके बाद अगली सुनवाई की तिथि से पहले न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें।
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