राकेश कुमार झा
संघ लोकसेवा आयोग हर वर्ष 27 प्रकार की सेवाओं के लिए प्रदेश परीक्षाएं आयोजित करता है। इन परीक्षाओं में सफलता के लिए कड़ी मेहनत और धैर्य की आवश्यकता है। आप पांचवीं से लेकर बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहन अध्ययन करें। इससे बहुत हद तक आपकी राह आसान हो सकती है
भारतीय युवाओं के मध्य छात्र जीवन में कई सारे कॅरियर विकल्प होते हैं जिन्हें साकार करने के लिए वे लगातार न सिर्फ कठिन मेहनत करते हैं, अपितु उसके लिए अपना सर्वस्व लगा देते हैं। वैसे तो कक्षा 12वीं के बाद ही युवाओं को अपने कॅरियर के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि एक निश्चित समय-सीमा के अंदर वे अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकें।
पूरे देश में युवाओं में अपने कॅरियर को लेकर अलग-अलग प्रकार का रोमांच रहता है। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, तो कोई आईएएस बनकर राष्टÑ सेवा करना चाहता है। वैसे तो युवाओं के समक्ष विकल्पों की एक लंबी सूची होती है, लेकिन इन सभी विकल्पों में सिविल सेवा में जाने के लिए कई युवा अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही सपना देखना शुरू कर देते हैं। वैसे जो युवा सचमुच सिविल सेवा के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें कॉलेज के दिनों से ही पूरी तत्परता से इस दिशा में मेहनत करनी चाहिए तभी उन्हें सफलता मिल सकती है। सिविल सेवा की परीक्षा में उम्मीदवार का तीन स्तर पर परीक्षण किया जाता है- प्रारंभिक स्तर, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार। इसलिए किसी भी छात्र को पूरी लगन से तैयारी करनी पड़ती है।
छात्रों के बीच कई ऐसी चुनौतियां एवं बातें रहती हैं कि वे कितने घंटे पढ़ें, कब से तैयारी शुरू करें, किस कोचिंग संस्थान में मार्गदर्शन प्राप्त करें, कौन-सा विषय लेकर तैयारी करें, लिखने की शैली कैसी हो, साक्षात्कार की तैयारी कैसे करें इत्यादि। ऐसे अनगिनत प्रश्न सदैव छात्रों को परेशान करते हैं। इन सभी प्रश्नों का उत्तर आप स्वयं का ही मूल्यांकन कर प्राप्त कर सकते हैं। संस्कृत का एक वाक्य है ‘मनन करोति इति मानव’ अर्थात् जो मनन और चिंतन करता है वही मनुष्य है। इस प्रकार छात्रों को भी अपने प्रारंभिक काल से ही अपने लक्ष्य की ओर एकाग्रचित्त और समर्पण भाव से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। जब कोई छात्र वास्तव में तैयारी शुरू करता है तो उसे स्वाभाविक रूप से इन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और जहां चुनौतियां हैं वहीं संभावना भी है और ऐसी परिस्थिति में स्वत: इन चुनौतियों का हल भी मिलना प्रारंभ हो जाता है।
इस प्रकार सर्वप्रथम छात्रों को पठन-सामग्री का चयन और संकलन काफी बारीकी से करना चाहिए, जैसे पांचवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की एनसीईआरटी की सभी पुस्तकों का गहन और सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिए। तत्पश्चात् सामान्य अध्ययन के विभिन्न भागों से संबंधित उत्कृष्ट पुस्तकों का चयन करना चाहिए। इसके उपरांत अपने वैकल्पिक विषय से संबंधित सामग्री, किताबों का अध्ययन और विश्लेषण स्वयं के स्तर से करने का प्रयास करें। साथ ही, किसी समसामयिक मुद्दे को समझने के लिए कई प्रामाणिक पत्रिकाओं यथा-योजना व कुरुक्षेत्र को पढ़ें। किसी एक राष्टÑीय अखबार के सभी सामाजिक-राजनीतिक, आर्थिक समाचारों को पढ़कर उस पर अपनी राय बनाने का प्रयास करें। इसके अलावा आकाशवाणी और टी.वी. पर समसामयिक मुद्दों पर जो चर्चा और विश्लेषण होते हैं उन पर ध्यान रखें। छात्रों को प्रारंभिक परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का सामना करना पड़ता है, वहीं मुख्य परीक्षा में किसी भी विषय पर विस्तार से लिखना होता है। लेकिन लिखने की कला विकसित करने के लिए छात्रों को हमेशा प्रयास करना पड़ता है, किसी भी एक विषय पर उसके अलग-अलग आयाम पर सूक्ष्मता से प्रकाश डालते हुए उसका विश्लेषण करना पड़ता है। तभी सटीक विश्लेषण माना जा सकता है। अर्थात् सही, सुंदर और तार्किक लेखनी की आवश्यकता सबसे आवश्यक होती है तभी किसी छात्र को अच्छे अंक मिल सकते हैं। इसके बाद साक्षात्कार का चरण होता है। इसमें उम्मीदवार का व्यक्तित्व परीक्षण होता है, यह चरण अंतिम और काफी निर्णायक होता है। अत: छात्रों को साक्षात्कार बोर्ड के समक्ष काफी सोच-समझकर उनके किसी भी प्रश्न का उत्तर देना होता है, तभी अच्छे अंक आने की प्रबल संभावना होती है।
इस प्रकार, सभी छात्रों को पूर्णरूपेण सफल होने के लिए इन तीनों चरणों—प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार परीक्षा-से होकर गुजरना पड़ता है और जब कोई भी छात्र इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लेता है तभी उसे अंतिम रूप से सफल चयनित उम्मीदवार माना जाता है।
अत: बिना किसी संशय व संदेह किए हुए पूरी तत्परता से छात्रों को तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिए। ऐसी किसी भी बात पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, जो आपको कमजोर करती हो। आजकल तो साधारण से साधारण परिवार के छात्र भी अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर न सिर्फ सिविल सेवा में प्रत्येक वर्ष चयनित होते हैं, बल्कि उसमें उच्च श्रेणी भी लाते हैं। यदि आप में संघर्ष की क्षमता है तो आप जरूर सफल होंगे। सिविल सेवा सच्चे अर्थों में आपको बहुआयामी सेवा प्रदान करने का अवसर देती है और आप इस प्रकार सिविल सेवा में आकर राष्टÑ सेवा कर सकते हैं।
महान चिंतक स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। जो किसी भी परीक्षा में सफल होना चाहता है, वह स्वामी विवेकानंद के इस वाक्य को याद रखकर अपना कर्तव्य करे, सफलता निश्चित है।
सिविल सेवा की तैयारी में अभ्यास का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। आप जिस अध्याय को पढ़ते हैं उससे संबंधित जो भी महत्वपूर्ण बिन्दु होता है उस पर गहन विचार-विमर्श करने की जरूरत होती है तभी आप उस अध्याय से संबंधित किसी भी प्रश्न को अच्छी तरह से हल कर पाएंगे। छात्रों को आपस में एक छोटा-सा समूह बना लेना चाहिए और आपस में सिविल सेवा के पाठ्यक्रम से संबंधित किसी भी विषय पर विस्तृत चर्चा करनी चाहिए और उस विषय पर अपनी एक राय बनानी चाहिए। ऐसा करने से छात्रों को किसी भी प्रकार के प्रश्न को हल करने में कोई दिक्कत नही आएगी। छात्रों को समय-प्रबंधन की समस्या होती है। चूंकि पाठ्यक्रम काफी बड़ा होता है। ऐसी परिस्थिति में एक निश्चित समय-सारणी बनाकर उसी प्रकार से अध्ययन करना चाहिए। पाठ्य पुस्तकों के अलावा महापुरुषों की जीवनी भी पढ़नी चाहिए और उनके जीवन में घटित विभिन्न प्रकार की जीवंत घटनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि तैयारी की अवधि में छात्रों को कई बार निराशा का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में इन महापुरुषों की जीवनी का काफी गहरा असर पड़ता है।
अत: हमेशा सकारात्मक सोच के साथ तैयारी करनी चाहिए। इस परीक्षा के लिए निरंतरता का भी होना अति-आवश्यक है अर्थात् लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। तभी सकारात्मक प्रयास और फलदायी परिणाम मिल सकते हैं। छात्रों को स्वाध्याय के साथ-साथ अपने नोट्स भी बनाने चाहिए, क्योंकि जब आप किसी भी अध्याय या विषय को पढ़ते हैं तो उसमें से महत्वपूर्ण बिंदुओं को निकालकर अपना नोट्स बनाना चाहिए। ऐसा करने से वह नोट बुक गागर में सागर की भूमिका निभाती है और परीक्षा के समय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रकार एक बेहतर तैयारी के लिए छात्रों को एक अच्छी रणनीति अपनाने की आवश्यकता होती है, ताकि कम समय में एक बेहतर कुशल प्रबंधन के साथ तैयारी करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचा जा सके। यदि छात्र इन बातों को ध्यान में रखते हुए तैयारी करेंगे तो उन्हें निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।
(लेखक निजी प्रतियोगिता परीक्षा संस्थान में शिक्षक हैं)
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