कन्वर्जन एवं निकाह के मुकदमे की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्त जावेद अंसारी के विरुद्ध चल रही कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अभियुक्त जावेद अंसारी की ओर से तर्क दिया गया था कि जिस समय निकाह किया गया उस समय उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर कानून लागू नहीं हुआ था.
आरोप है कि गत 17 नवंबर, 2020 को एक हिन्दू लड़की घर से बाजार के लिए निकली थी. उसके बाद घर वापस नहीं लौटी. परिजनों ने कई जगह तलाश करने के बाद 21 वर्षीय लड़की की गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज कराई. कुछ समय बीतने के बाद पता लगा कि जावेद अंसारी अपने साथियों के साथ लड़की को बहला-फुसला कर ले गया है. परिजनों ने आरोप लगाया कि जिलाधिकारी की अनुमति के बगैर कन्वर्जन करा कर निकाह कराया जा रहा है.
आरोप यह भी है कि मोहम्मद जावेद ने अपने साले फैजान व महफूज के घर पर पीड़िता को छिपाया दिया था. पीड़िता को गाड़ी में जबरदस्ती बैठा कर ले जाया गया था. इस मामले में पुलिस ने जावेद अंसारी उसके रिश्तेदारों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था.
अभियुक्त जावेद अंसारी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह तर्क दिया गया था कि दोनों बालिग़ हैं. यह भी तर्क दिया गया कि इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में कन्वर्जन का कानून लागू हुआ. इसलिए अभियुक्त पर उस कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की जा सकती है. पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा अभियुक्त पहले से शादीशुदा है. उसने लड़की का अपहरण किया और उसे नशीली दवा खिलाया. उर्दू में लिखे हुए दस्तावेजों पर उससे जबरदस्ती दस्तखत करा लिया. जब पीड़िता को होश आया तो उसने पुलिस को सूचित किया. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष भी अभियुक्त के खिलाफ बयान दर्ज कराया.
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