कोरोना के नियमों में छूट देने के कारण बकरीद के दौरान केरल के बाजारों में ऐसी रही भीेड़
केरल में तीन दिन से लगातार 22,000 से अधिक कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। 29 जुलाई को पूरे देश में 43,509 नए मरीज मिले। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत केरल के हैं। यह सब मुस्लिम तुष्टीकरण का परिणाम है।
केरल की वामपंथी सरकार ने राज्य के 27 प्रतिशत मुसलमानों को खुश करने के लिए बकरीद के अवसर पर 18, 19 और 20 जुलाई को कोरोना के नियमों में भारी छूट दे दी थी। इस कारण बाजारों में भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने न तो सामाजिक दूरी का पालन किया और न ही मास्क लगाया। इसी का नतीजा है कि केरल में प्रतिदिन 22,000 से अधिक कोरोना के नए मरीज मिल रहे हैं। इस समय केरल ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां सबसे अधिक कोरोना के मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों का एक दल केरल भेजा है।
29 जुलाई को केरल में कोरोना के कारण 128 लोगों की जान भी चली गई। इसके लिए पूरी तरह केरल की सरकार जिम्मेदार है। उसने इस महामारी में भी तुष्टकरण की राजनीति की। जब यह मामला पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा था, तब केरल सरकार ने बड़ी बेशर्मी के साथ अपनी तुष्टीकरण की राजनीति को छिपाने के लिए कहा था कि बाजार खोलने की मांग व्यापारी संगठनों ने की थी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि बाद में यदि केरल में कोरोना के मरीज बढ़े तो किसी भी व्यक्ति की शिकायत पर वह सख्त कार्रवाई करेगा। इसलिए अब सर्वोच्च न्यायालय को इसमें देर नहीं करनी चाहिए।
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