अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों के साथ मिलकर लड़ रहे हैं लश्करे तोयबा और जैश के आतंकी (फाइल चित्र)
राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले भी कह चुके हैं कि तालिबान का लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद से गहरा नाता है। पाकिस्तान से ठिकाने समेटकर अब इन आतंकी गुटों का तालिबान की सरपरस्ती में अफगानिस्तान में पैर जमाना भारत के लिए खतरनाक संकेत
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते कब्जे का पाकिस्तान स्थित आतंकी गुट फायदा उठा रहे हैं। ताजा समाचार है कि आतंकी गुट लश्करे तोयबा अब अफगानिस्तान के उन इलाकों में अपने ठिकाने जमा रहा है जो तालिबान के कब्जे में आ चुके हैं। और इससे भारत को सावधान रहने को कहा है स्वयं अफगानिस्तान सरकार ने। अफगान सरकार ने भारत सरकार को चेताते हुए कहा है कि लश्कर के आतंकी पाकिस्तान से हटाकर अपना ठिकाना अफगानिस्तान में स्थापित करने लगे हैं।
तालिबान प्रवक्ता का दावा है कि उनके कब्जे में करीब 90 फीसदी देश आ चुका है, हालांकि अमेरिकी सूत्र इसे गलत मानते हैं। उनका कहना है, तालिबान ऐसे बयान एक डर का माहौल बनाने के लिए कह रहे हैं। लेकिन मुद्दे की बात यह है कि अगर अफगान सरकार की यह सूचना सही है तो भारत को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। भारत में अधिकांश आतंकी घटनाओं में लश्करे तोयबा का हाथ माना जाता रहा है। यह गुट पाकिस्तान की जमीन पर पाला-पोसा जाता रहा है। अब उसका ठिकाना अफगानिस्तान में होना इस बात को रेखांकित करता है कि बहुत संभव है एफएटीएफ को अपनी सूरत साफ-सुथरी दिखाने के लिए यह चीज इमरान सरकार की कोई बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है। तालिबान के कब्जे वाले इलाके में लश्कर के पैर पसारना आसान भी होगा क्योंकि वहां उसे किसी सेना या आतंकरोधी अभियान के होने का अंदेशा नहीं रहेगा। इससे अफगानिस्तान की सरकार के लिए यह खतरा भी बढ़ा है कि आतंकी अफगानिस्तान के उन हिस्सों में अपने को मजबूत कर सकते हैं, जहां पर सरकार की हुकूमत नहीं रही।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगान प्रशासन ने भारत को सचेत करते हुए इस संदर्भ में लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद का जिक्र किया है। वहां के अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सभी अंतरराष्ट्रीय आतंकी गुटों को उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान से हटाकर अफगानिस्तान भेजने की इच्छा रखता है। उनके अनुसार भी पाकिस्तान इसके जरिए एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर आने की जुगत लगा रहा है।
अफगान प्रशासन ने भारत को सचेत करते हुए लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद का जिक्र किया है। वहां के अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सभी अंतरराष्ट्रीय आतंकी गुटों को उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान से हटाकर अफगानिस्तान भेजने की इच्छा रखता है। उनके अनुसार, पाकिस्तान इसके जरिए एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर आने की जुगत लगा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान पर आक्रामक होते हुए कहा था कि तालिबान का लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद से गहरा नाता है। पिछले दिनों राष्ट्रपति गनी ने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाते हुए यह भी कहा था कि जून 2021 में पाकिस्तान से 10 हजार जिहादी अफगानिस्तान में दाखिल हुए हैं। उन्होंने यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में उज्बेकिस्तान में दिया था।
गनी ने कहा था कि अफगानिस्तान को आतंकियों के लिए 'जन्नत' बनाना चाह रहे हैं तालिबानी। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया था कि अफगानिस्तान की सरकार ऐसा नहीं होने देगी। अफगानिस्तान के विशेष कार्य बल को हर जरूरी सहायता उपलब्ध कराते रहेंगे। इस बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अफगानिस्तान में मारे गए कितने ही आतंकियों की तलाशी में उनकी जेब से पाकिस्तानी पहचान पत्र मिले हैं।
गनी मानते हैं कि तालिबान शांति नहीं चाहते। अगर वे सचमुच में अफगानी हैं तो उन्हें आम लोगों के घरों को बर्बाद करने से बाज आना चाहिए।
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