छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने दामाद के संबंधियों के मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण के लिए एक विधेयक ला रहे हैं। यह कॉलेज आर्थिक रूप से खस्ता हाल है और 2017 से इस कॉलेज को मान्यता भी नहीं मिली है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार अपने करीबी संबंधियों को फायदा पहुंचाने का जुगत लगा रही है। भूपेश बघेल आर्थिक रूप से खस्ताहाल एक निजी मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने के लिए विधेयक बना रही है। यह कॉलेज जिसका है, उस परिवार में मुख्यमंत्री की बेटी की शादी हुई है। यह मेडिकल कॉलेज दुर्ग में है और इसका नाम है- चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज। यह चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल (सीसीएमएच) से संबध है, जो एक गैर-सूचीबद्ध निजी कंपनी है। इस कंपनी का पंजीकरण मार्च 1997 में हुआ था। इसके 59 शेयरधारक हैं, जिनकी कंपनी में 4 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
चंदूलाल चंद्राकर कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री थे। वे पांच बार दुर्ग से सांसद रहे। 1995 में उनका निधन हो गया। उन्हीं की याद में चंद्राकर परिवार द्वारा इस अस्पताल की स्थापना की गई। सीसीएमएच के निदेशक मंगल प्रसाद चंद्राकर हैं। अंग्रेजी दैनिक द इंडियन एक्प्रेस का दावा है कि बघेल सरकार ने इस कॉलेज के अधिग्रहण के लिए मसौदा विधेयक तैयार कर लिया है। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि अस्पताल ने राज्य सरकार से कॉलेज का अधिग्रहण करने का आग्रह किया है, क्योंकि यह ‘आर्थिक परेशानी’ में था। इस कॉलेज में पढ़ने वाले कई मेडिकल छात्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार इस बात से संतुष्ट है कि इसका ‘तत्काल अधिग्रहण’ करना ‘जनहित में आवश्यक’ है। हालांकि कॉलेज की देनदारियां सीसीएमएच के मालिकों की होंगी। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, राज्य सरकार केवल कॉलेज की चल-अचल संपत्ति का मूल्यांकन करेगी और सीसीएमएच को धन देगी। हालांकि अधिकारी इसे अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं, लेकिन इस फैसले से ‘असहज’ हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेटी दिव्या बघेल की शादी क्षितिज चंद्राकर से हुई है, जिनके पिता विजय चंद्राकर सीसीएमएच के निदेशक मंगल प्रसाद चंद्राकर के छोटे भाई हैं।
अधिकारियों की आपत्ति के तीन बड़े कारण
बघेल ने करीब 6 महीने पहले इस कॉलेज के अधिग्रहण की घोषणा के बाद ही इस पर काम शुरू कर दिया था। 2 फरवरी को उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘निजी अस्पताल के अधिग्रहण का काम सरकार जल्द शुरू करेगी।’’ लेकिन अधिकारी तीन प्रमुख मुद्दों की ओर संकेत करते हैं, जो चिंताजनक है। पहला, सीसीएमएच पर कुल बकाया कर्ज 125 करोड़ रुपये है, जिसका एक बड़ा हिस्सा असुरक्षित है। दूसरा, जिस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने की तैयारी चल रही है, उस पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने 12 अप्रैल, 2018 को अपनी बैठक में ‘फर्जीवाड़े’ गतिविधियों का आरोप लगाया था और तीसरी, इस कॉलेज को 2017 से मान्यता भी नहीं मिली है। अंग्रेजी दैनिक का कहना है कि उसने मुख्यमंत्री कार्यालय को सवालों की सूची भेजी, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क निदेशक एस. भारतीदासन के हवाले से अखबार लिखता है, ‘‘विधानसभा के इस सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। जब तक यह विधेयक पेश नहीं किया जाता है, तब तक संबंधित सचिव द्वारा विधेयक या इसकी परिस्थितियों पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता है।’’
क्या कहते हैं बघेल के दामाद
बघेल के दामाद क्षितिज चंद्राकर राज्य में अखिल भारतीय पेशेवर कांग्रेस इकाई के प्रमुख हैं। क्षितिज मानते हैं कि सांसद चंद्राकर उनके चाचा थे। उनके भाइयों (क्षितिज के पिता विजय और चाचा मंगल प्रसाद) करीब 6-7 साल पहले सौहार्दपूर्ण तरीके से अलग हो गए। साथ ही, कहा कि कॉलेज के 300 छात्र अधिग्रहण के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार को एक नए कॉलेज के निर्माण आने वाली लागत से काफी कम कीमत पर चालू कॉलेज मिल रहा है और छात्रों का सहयोग भी मिल रहा है तो यह एक अच्छा और स्वागत योग्य फैसला है।’’ वहीं, सीसीएमएच के कार्यकारी निदेशक लक्ष्मण चंद्राकर और (3.75 प्रतिशत) शेयरधारक ने कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल ने आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने के बाद सरकारी हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। “यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि हम पर कर्ज है। हमने सरकार से कॉलेज को बचाने की गुहार लगाई है।’’ सीसीएमएच के अन्य कार्यकारी निदेशक और (3.75 प्रतिशत) शेयरधारक देवकुमार चंद्राकर ने कहा कि कहा कि उन्हें इस सत्र में पेश किए जाने वाले विधेयक के बारे में पता था। साथ ही, कहा कि "हमें 2017 के बाद से किसी भी वर्ष मान्यता नहीं मिली है। इस वर्ष एमसीआई से मान्यता लंबित है।"
क्या है प्रस्तावित विधेयक में
प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि सरकार कॉलेज के मालिक चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल को कॉलेज की चल और अचल संपत्तियों के मूल्यांकन के आधार पर तय की जाने वाली राशि का भुगतान करेगी। एक विशेष अधिकारी, जिसे नियुक्त किया जाना प्रस्तावित है, को कॉलेज की संपत्तियों का मूल्यांकन कर सरकार को सौंपने के लिए एक वर्ष का समय मिलेगा। विधेयक के अनुसार, चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का कर्ज "सरकार द्वारा निहित होने से पहले" मालिक का दायित्व रहेगा और कानून की सामान्य प्रक्रिया का पालन करके उनके लेनदारों द्वारा उनसे वसूल किया जा सकता है। कंपनियों के रजिस्ट्रार से प्राप्त 2019-20 के वित्तीय विवरणों के अनुसार, चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल ने 2019-20 में 49.67 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जो पिछले वर्ष के 67.38 करोड़ रुपये से 26 प्रतिशत कम है। कंपनी की कुल संपत्ति पूरी तरह से समाप्त हो गई है। इसे 2019-20 में 9.98 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, पिछले वर्ष के 8.55 करोड़ रुपये के नुकसान से अधिक था। 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के दौरान कंपनी का कुल कर्ज 125.26 करोड़ रुपये था, जिसमें असुरक्षित कर्ज 53.81 करोड़ रुपये यानी करीब 43 प्रतिशत था।
मुख्यमंत्री पर भाई-भतीजावाद का आरोप
चंदूलाल चंद्राकर के करीबी परिवार के एक सदस्य ने भी सरकार पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया है। चंदूलाल चंद्राकर के बड़े भाई चुन्नीलाल चंद्राकर के पोते और राज्य कांग्रेस के संयुक्त सचिव अमित चंद्राकर ने आरोप लगाया कि “मुख्यमंत्री एक नया कानून बनाकर अपनी (बेटी के) ससुराल वालों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।” इसका जवाब देते हुए क्षितिज चंद्राकर ने कहा, 'इसका निराधार है कि जो परिवार चंदूलाल जी के जीवित रहते उनके साथ कुछ नहीं करना चाहता था, वह उनके लिए लड़ रहा है। वे सिर्फ एक महान नेता के नाम को भुनाना चाहते हैं।”
क्या कहते हैं बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज पर प्रकाशित एक समाचार में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये बातें निराधार हैं। उन्होंने लगातार कई ट्वीट कर कहा कि ‘’यह प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज और सैकड़ों छात्रों के भविष्य को बचाने का प्रयास है। इससे एक नया मेडिकल कॉलेज बनाने का समय बचेगा व हर साल प्रदेश को 150 डॉक्टर मिलेंगे।
जहां तक रिश्तेदारी और निहित स्वार्थ का सवाल है तो मैं अपने प्रदेश की जनता को यह बताना चाहता हूं कि भूपेश बघेल उसके प्रति उत्तरदायी है और उसने हमेशा पारदर्शिता के साथ राजनीति की है, सरकार में भी हमेशा पारदर्शिता ही होगी। सौदा होगा तो सब कुछ साफ हो जाएगा। यह खबर कल्पनाशीलता की पराकाष्ठा से उपजा विवाद है। जिसे मैं चुनौती देता हूं। अगर जनहित का सवाल होगा तो सरकार निजी मेडिकल कॉलेज भी ख़रीदेगी और नगरनार का संयंत्र भी। हम सार्वजनिक क्षेत्र के पक्षधर लोग हैं और रहेंगे। हम उनकी तरह जनता की संपत्ति बेच नहीं रहे हैं।‘’
उन्होंने आज अपने ट्वीट में लिखा, ‘’चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों और कुछ अभिभावकों से आज मुलाकात हुई। वे चिंतित थे कि सरकार कॉलेज के अधिग्रहण का इरादा न छोड़ दे। मैंने उन्हें आश्वस्त किया है कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए उठाया गया कदम कतई पीछे नहीं खींचेगी।‘’
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी बघेल पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर पूछा, ‘‘ये कैसा दोगलापन है भूपेश बघेल जी! एक तरफ मेडिकल कॉलेज और नगरनार संयंत्र के अधिग्रहण की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ गांव के लोगों के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल बनाने की जगह निजी अस्पलात को जमीनें दे रहे हैं। इससे ‘जनता का नहीं’ ‘आपका और आपके परिवार’ का हित जरूर पूरा होगा।’’
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