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एक वीडियो जारी कर हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले देवबंदी मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी पर देहरादून में मुकदमा दायर। देहरादून पुलिस ने कहा है कि उसके वीडियो की जांच कराई जाएगी और फिर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
बद्रीनाथ धाम पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी पर देहरादून में एक मुकदमा दर्ज हुआ है। बता दें कि उस मौलाना ने कुछ दिन पहले एक वीडियो जारी कर कहा था कि बद्रीनाथ धाम हिंदुओं का तीर्थस्थल नहीं है, बलिक मुसलमानों का है। आगे वह यह भी कहता है, “सच बात तो यह है कि वह बद्रीनाथ नहीं, बदरुद्दीन शाह हैं। यह मुसलमानों का मजहबी स्थल है। इसलिए इसे मुसलमानों को दे देना चाहिए।” वह यह भी कहता है, “वे बद्रीनाथ नहीं हैं। नाथ लगा देने से वे हिंदू हो गए क्या? वे बदरुद्दीन शाह हैं। इतिहास का अध्ययन कीजिए, फिर बहस कीजिए। मुसलमानों को उनका मजहबी स्थल चाहिए।”
मौलाना प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से भी मांग करता है कि मुसलमानों को बद्रीनाथ धाम सौंप दिया जाए। इसके साथ ही उसने मंदिर प्रबंधन से भी मंदिर खाली करने के लिए कहा। वीडियो के आखिर में धमकाने वाले अंदाज में वह कहता है, “यदि मुसलमानों को उनका मजहबी स्थल नहीं मिला तो हम बद्रीनाथ मंदिर की तरफ जाएंगे और उस पर कब्जा करेंगे।”
उसकी इन बातों से साफ झलकता है कि वह हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करना चाहता है। इसलिए आचार्य जगदंबा प्रसाद पंत नामक एक व्यक्ति ने देहरादून के रायपुर थाने में उस मौलाना के विरुद्ध एक मुकदमा दायर करवाया है। यह मामला भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 153ए, 505, और आईटी एक्ट की धारा 66 एफ के अंतर्गत दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि उस मौलाना ने मंदिर पर दावा करके सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का प्रयास किया है।
शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि मौलाना के दावे उत्तराखंड और उसके बाहर सांप्रदायिक दंगों को भड़काने के लिए काफी हैं। शिकायतकर्ता ने देहरादून पुलिस से मामले में संज्ञान लेने का निवेदन किया है। उन्होंने यह भी मांग की है कि सोशल मीडिया के हर मंच से उस वीडियो को हटाया जाए। पुलिस ने कहा है कि उक्त वीडियो की जांच कराई जाएगी।
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