फादर जॉर्ज का मानना है कि नाइजीरिया सरकार में हावी कट्टर इस्लामी सोच के समर्थक बोको हराम के मददगार बने हुए हैं
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में ईसाई समुदाय आएदिन बोको हराम व दूसरे इस्लामी आतंकियों की बर्बरता का शिकार होता है। गांवों में बड़े पैमाने पर ईसाइयों की हत्याएं हो रही हैं, चर्च जलाए जा रहे हैं, लेकिन इस घटनाओं को अंजाम देने वाले इस्लामी जिहादियों को रोकने के कोई कदम सरकार उठाती नहीं दिख रही है। नाइजीरिया सरकार के इस रवैए से ईसाई समुदाय आहत है। इसी वजह से फादर जार्ज एहुसानी को यहां तक कहना पड़ा है कि ऐसा नहीं है कि सरकार ये हमले रोक नहीं सकती, बात यह है कि उसमें ऐसी कोई इच्छा नहीं है।
गत 22 जुलाई को एसीआई अफ्रीका यानी एसोसिएशन फॉर कैथोलिक इन्फॉर्मेशन इन अफ्रीका को दिए साक्षात्कार में फादर जार्ज ने साफ कहा कि सरकार में बड़े ओहदों पर बैठे लोग सरकार की तरफ से आतंकवादियों को काबू करने की कार्रवाई होने ही नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन में बैठे लोग ही आतंकियों को पैसे से या सरकार की आतंकरोधी योजनाओं की पहले से खबर देकर मदद कर रहे हैं।
फादर जॉर्ज ने कहा है कि ऐसे लोग हैं जो शायद बोको हराम या उस जैसे हथियारबंद हमलावरों जितने बर्बर न भी हों, लेकिन वे उनकी मजहबी सोच या उसके कामों के प्रति नरम रहते हैं। ये लोग भी मानते हैं कि ज्यादातर नाइजीरिया या कम से कम इसका उत्तरी भाग पूरी तरह इस्लामी होना चाहिए।
एहुसानी ने आगे कहा कि ऐसी सोच के लोग सिर्फ सरकार में ही नहीं हैं, बल्कि स्कूल-कालेजों, अर्धसैनिक बलों और फौज में भी हैं। वे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में हैं। यही वजह है कि फौज में शीर्ष स्तर पर कोई आतंकरोधी कार्रवाई करने की योजना बनती भी है तो उसकी खबर सीधे आतंकवादियों तक पहुंचा दी जाती है। ईसाइयों की पीड़ा को बहुत हल्के में लिया जाता है।
कट्टर इस्लामी सोच के लोग सिर्फ सरकार में ही नहीं हैं, बल्कि स्कूल-कालेजों, अर्धसैनिक बलों और फौज में भी हैं। वे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में हैं। यही वजह है कि फौज में शीर्ष स्तर पर कोई आतंकरोधी कार्रवाई करने की योजना बनती भी है तो उसकी खबर सीधे आतंकवादियों तक पहुंचा दी जाती है। ईसाइयों की पीड़ा को बहुत हल्के में लिया जाता है।
लोकोजा डायोसिस में पादरी और लक्स टेरा लीडरशिप फाउंडेशन के निदेशक फादर जार्ज मानते हैं कि उनके देश की सेना के पास हथियारों या प्रशिक्षण की कमी नहीं है। वे कहते हैं,''जब नाइजीरिया की सेना अंतरराष्ट्रीय कार्रवाइयों में, शांति सेनाओं में गजब की बहादुरी दिखाती है तो यह कैसे माना जा सकता है कि वह बोको हराम जैसे गुट को काबू नहीं कर सकती?''
कमी है तो सरकार की सकारात्मक मंशा की तथा आतंकवादियों और उनकी सोच के समर्थक तत्वों को सरकार में शह मिलने की। अगर सरकार चाहे तो उत्तरी नाइजीरिया में अमन कायम हो सकता है, लेकिन उसके लिए कोशिश करनी होगी।
एहुसानी के शब्दों में आज नाइजीरिया में आतंक के साए में जीने को मजबूर ईसाई समुदाय की टीस झलकती है।
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