प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले मात्र 17 मेडिकल कॉलेज, संस्थान और विश्वविद्यालय थे, लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में अब यह बढ़कर 33 हो गए हैं. नौ जिलों देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में 2,334 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गए हैं. जल्द ही लोकार्पण होगा.
पिछले साढ़े चार सालों में आठ सौ सीटें एमबीबीएस की बढ़ी हैं और अक्टूबर से नौ सौ और बढ़ने वाली हैं. इसी तरह पीजी की सीटें 2016 में 741 थीं और अब बढ़कर 1027 हो गई हैं. नव निर्मित नौ मेडिकल कॉलेजों में 70 प्रतिशत से अधिक फैकल्टी का चयन किया जा चुका है. 459 फैकल्टी के पदों के सापेक्ष 258 और सीनियर रेजिडेंट के 216 पदों के सापेक्ष 164 की भर्ती हो चुकी है. इसी तरह 402 जूनियर रेजिडेंट रखे जा रहे हैं. हर मेडिकल कॉलेज में 460 पैरा मेडिकल स्टॉफ और 225 नर्सें रखी जा रही हैं. इस प्रकार कुल 6,165 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है.
वर्ष 2022 में मिलेंगे 14 और जिलों को मेडिकल कॉलेज–
प्रदेश के अमेठी, औरैया, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, गोंडा, कानपुर देहात, कौशांबी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और सुल्तानपुर जिले में 2022 तक मेडिकल कॉलेजों की सौगात मिलेगी. इनका निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा 16 शेष जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर ली गई है.
'अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय' की स्थापना के लिए सुल्तानपुर रोड पर स्थित चक गंजरिया सिटी परियोजना में राज्य सरकार द्वारा 50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. इसका भवन करीब 200 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा. पहले चरण में प्रशासनिक भवन, ऑडिटोरियम, संग्रहालय, अतिथि गृह, आवास व अन्य निर्माण किए जाएंगे. चिकित्सा विश्वविद्यालय के अंतर्गत प्रदेश के करीब साठ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, करीब 300 नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल प्रशिक्षण संस्थान आएंगे.
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