अफगानिस्तान के बाद बहुत संभव है इराक से भी अमेरिकी सेनाओं के वापसी हो जाए। आइएस द्वारा इराक के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2014 में इराक में अमेरिकी सेना भेजने का निर्णय लिया था
इराक से खबर है कि अमेरिका के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कादिमी ने कहा है कि अब इराक को आईएसआईएस से लड़ने के लिए अमेरिकी सेना की कोई जरूरत नहीं है। पर वे यह जरूर कहते हैं कि उन्हें अमेरिका की प्रशिक्षण सेवाओं की जरूरत पड़ेगी।
अल-कादिमी ने आगे कहा कि उनके देश में अमेरिकी सेना की आवश्यकता तो नहीं है, पर उनके फिर से तैनाती के लिए समय सीमा इस हफ्ते अमेरिकी प्रशासन के साथ वार्ता के नतीजे पर निर्भर होगी। प्रधानमंत्री अल-कादिमी का कहना है कि इराक को अमेरिका की प्रशिक्षण और सैन्य गुप्तचरी सेवाओं की जरूरत पड़ेगी।
अल कादमी बाइडेन से रणनीतिक वार्ता के चौथे चरण की बातचीत करने वाले हैं। उससे पूर्व अल-कादिमी का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘इराक की जमीन पर किसी विदेशी सेना की जरूरत नहीं है।’ हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं बताया कि अमेरिकी सेना की वापसी कब तक होगी। इस बारे में उनका कहना था कि इराकी सुरक्षाबल तथा सेना, अमेरिका की अगुआई वाली सहयोगी देशों की सेनाओं के बिना देश की हिफाजत कर सकती हैं।
अपने वाशिंगटन दौरे में अल कादमी ने एक साक्षात्कार में यह बात कही। वे बाइडेन से रणनीतिक वार्ता के चौथे चरण की बातचीत करने वाले हैं। इससे पूर्व अल-कादिमी का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘इराक की जमीन पर किसी विदेशी सेना की जरूरत नहीं है।’ हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं बताया कि अमेरिकी सेना की वापसी कब तक होगी। इस बारे में उनका कहना था कि इराकी सुरक्षाबल तथा सेना, अमेरिका की अगुआई वाली सहयोगी देशों की सेनाओं के बिना देश की हिफाजत कर सकती हैं। अल-कादिमी ने कहा कि सेना की वापसी इराकी बलों की आवश्यकता के हिसाब से होगी। उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक स्टेट के विरुद्ध युद्ध और हमारी सेना की तैयारी को वक्त के हिसाब से चलने की जरूरत है जिसको बाइडेन के साथ होने वाली वार्ता में तय किया जाएगा।
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